नई सुबह

 


तिमिर छंटते ही, खुशनुमा सहर होगी |

पाँव जमीं पे,  आसमां पे नज़र होगी ||

काँटे अनगिनत हैं राह में, तो क्या हुआ |

फूलों से संजी कल, अपनी डगर होगी ||

रोक ले कदम जो, तूफानों में दम नहीं |

बदल दे हवा का रूख, वो मौसम नहीं ||

उजाले में परछाईयों की, परवाह नहीं |

मेरे किरदार में चमक, उम्र भर होगी ||

हौसलों से बाँध रखा है, कश्ती की डोर |

साहिल तक पहुंचेगी, चाहे भँवर होगी ||

आज तन्हा सफ़र है, कल होगा कारवां |

इतिहास के पन्नों में, कहानी अमर होगी ||

रेत पर भी बन जायेंगे,  पक्के आशियां |

जमीं से जुड़ने की, अंगद सी हुनर होगी ||

आज जिक्र न हो ‘दीप’, तो कोई बात नहीं |

मेरे जाने के बाद, मेरी चर्चा मगर होगी ||

 

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