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हिंदी पत्रकारिता : दशा एवं दिशा

हिंदी पत्रकारिता का बदलता स्वरुप अवं चुनौतियाँ ...३० मई को हिंदी पत्रकारिता एक नए वर्ष में प्रवेश कर लेगी और इसके साथ ही हम हिंदी पत्रकारिता दिवस पर इसके स्वरुप पर चर्चा कर रहे होंगे तथा इसके स्वरुप में तेजी से हो रहे बदलाव के लिए समाज को कोसने का कम कर रहे होंगे । आज जब हर तरफ तेजी से बदलाव हो रहे है ऐसे में हिंदी पत्रकारिता पर इनका प्रभाव नहीं पड़ेगा, ऐसा सोचना बेमानी ही होगा... विगत कुछ वर्षो में व्यावसायिकता की आंधी ने इसके मजबूत दीवारों को काफी हद तक कमजोर कर दिया है, इसके स्वरुप को काफी विकृत कर दिया है...और हम सिर्फ खेद प्रकट कर सकने के सिवा कुछ भी नहीं कर सके है। प्रत्येक वर्ष की भांति इस वर्ष भी हम सिर्फ चिंता प्रकट कर अपने उत्तरदायित्वों की इतिश्री कर लेंगे । अगर ऐसा ही चलता रहा तो आम आदमी की पीड़ा को व्यक्त करने वाली इस संस्था से आम आदमी गायब हो जायेगा और आम आदमी को न्याय दिलाने वाली यह संस्था अभिजात्य वर्ग की प्रवक्ता बन कर रह जाएगी। खबरों के चयन का आधार और प्रस्तुतीकरण जिस तरह से बदल रहा है उससे तो यही लगता है की इस विधा के पुरोधा ही इसकी लुटिया डुबोने पर आमादा हो गएँ है।...