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कब तक लहू बहेगा?

कब तक लहू बहेगा भारत के वीर जवानों का कब तक देखेगा देश ये नंगा नॉच हैवानों का इससे पहले गद्दारों के मंसूबे सफल हो जाये रोज तिरंगा में लिपटा कोई शहीद घर आये कुचलना होगा सिर घर-बाहर के शैतानों का...... हर कोने में विषैले सर्प फन अपना फैला रहे भगत सुभाष की धरती ज़हन्नुम वो बना रहे घड़ियाली आँसू ऐसे कब तक तुम  बहाओगे शहादत पर वीरों के सियासी पारा चमकाओगे रोको क़त्ल अब तो तुम गाँधी के अरमानों का .... सौ कुत्ते मिल शेरों का अब ऐसे न संहार करें छिप कर सूअर के औलाद पीछे से न वार करें जागो दिल्ली के जमींदारों अब तुम न देर करो कह दो वीर जवानों से चुन-२ कुत्तों को ढेर करो सफाया जरुरी है अब उनके ठौर ठिकानों का ......