कुछ बदला बदला सा है..
मौसम बदला, जीवन बदला, बदल गया संसार | आई जबसे एक बिमारी, बदल दिया व्यापार || रहन-सहन व दर्शन बदला, बदल गये विचार | सातों दिन एक हैं लगते, जैसे होता था इतवार || करते थे संग मस्ती जिनके, दोस्त व यार भी बदले | बिन बुलाये आने वाले, अब तो रिश्तेदार भी बदले || पास-पड़ोस की ताका झांकी, अब कुछ रहा न बाकी | फीके लगते हैं मुझको, अब सारे त्यौहार भी बदले || स्विगी, ज़ोमैटो और अमेजान, बन गई अपनी दुकान | तरह-तरह के व्यंजन हैं मिलते, मिल जाता हर सामान || दादी के मोबाइल में अब तो, उपलब्ध हैं एप्प ये सारे | जिनको अच्छे लगते थे केवल, घर के ही सब पकवान || माँ का किचन बदला, दादी का शासन भी बदला | पापा बन गये अब दोस्त, उनका अनुशासन बदला || देती थी जो सजा अनूठी, डाँटने वाली मैडम बदली | मोबाइल पर रोक नहीं, सख्त स्कूल-प्रशासन बदला || ऑनलाइन लॉग-इन कर, जब मन हुआ सो जाते हैं | टेक्निकल प्रॉब्लम का बहाना, जब चाहें हम बनाते हैं || मोबाइल पास होने पर, कर देते थे जो क्लास से बाहर | वही अध्यापक आज हमें, मोबाइल पर ही पढ़ाते हैं || झपकी की ...