राष्ट्रहित में जरूरी है समान नागरिक संहिता

विगत कुछ दिनों से समान नागरिक संहिता से जुड़ा मुद्दा सर्वाधिक चर्चा में है, सरकार द्वारा गठित २२ वें विधि आयोग द्वारा इस सन्दर्भ में सुझाव आमंत्रित किये जाने के कुछ दिनों के अन्दर ही लाखों की संख्या में सुझाव प्राप्त हो चुके हैं | आयोग अपनी रिपोर्ट तैयार करने से पहले अधिकाधिक लोगों के सुझाव एवं आपत्ति को आधार बनाना चाहता है जिससे इस जटिलता भरे मुद्दे पर जनभावनाओं को केंद्र में रखकर रिपोर्ट प्रस्तुत किया जा सके | यही कारण है कि न्यायमूर्ति ऋतुराज अवस्थी की अध्यक्षता वाले आयोग ने जनमत संग्रह की समय सीमा दो सप्ताह के लिए बढ़ाकर २८ जुलाई कर दिया है जिससे अधिकाधिक लोग अपने सुझाव एवं आपत्तियों को दर्ज करा सकें | विगत दिनों आयोग ने स्पष्ट कर दिया था कि रिपोर्ट प्रस्तुत करने से पहले सभी हितधारकों एवं संगठनों से विचार-विमर्श किया जायेगा | भारतीय संविधान के अनुच्छेद ४४ में समान नागरिक संहिता सम्बंधित उल्लेख है, बाबा भीमराव अम्बेडकर भी समान नागरिक संहिता के पक्षधर थे | १९८५ में शाह बानो का केस हो या फिर १९९५ में सरला मुदगल से जुड़ा मामला, देश की सर्वोच्च न्यायालय ने यू सी सी की दिशा में सकार...