एक एहसास

दिल की बात, जुबां पर आती कहाँ है | कुछ बातों को आँखें, बोल पाती कहाँ है || छुपा रखा है उसने, सीने में एक चिंगारी | वर्षों से लगी आग वो, बुझाती कहाँ है || यूँ तो कर जाती है, जहां की बातें मुझसे | दिल पर बीती हुई, वो बताती कहाँ है || बिखेर लेती है लवों पे, यादों के मोती | सामने होने पर, वो मुस्कुराती कहाँ है || बिछाकर अनगिनत ख़ुशी, राहों में मेरे | हक अपना कभी, वो जताती कहाँ है || रौशन रहे दुनिया, हमदम के प्यार की | अपने लिए वो दीप, जलाती कहाँ है ||