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छोटी सी ज़िन्दगी

  क्या गलत क्या सही है दोस्तों | इतनी ही समझ नहीं है दोस्तों || ख़ामोश आँखें कुछ कहती नहीं | रिश्तों में बर्फ़ जमी है दोस्तों || जिसके मिलने से थी हर ख़ुशी | बन गया अजनबी है दोस्तों || बढ़ गयी हैं दूरियां इस कदर | कोई नज़र जैसे लगी है दोस्तों || बढ़ रहे रोज उलझनों के धागे | ज़िन्दगी ये उलझ रही है दोस्तों || रेत पे खड़ी है दिवार रिश्तों की | धीरे-धीरे   गिर रही है दोस्तों || आओ साफ करते हैं उस धूल को | नफरतों की ‘दीप’ जमी है दोस्तों || गिले-शिकवे मिटा लग लें गले | बड़ी छोटी सी ज़िन्दगी है दोस्तों ||  

हर युग में प्रासंगिक रहा है शिक्षक

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  विगत कुछ वर्षों में तकनीकी के क्षेत्र में हुए बदलाव ने शिक्षण व्यवस्था को भी प्रभावित किया है, विशेष रूप से आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के विस्तार ने शिक्षण पद्धति पर व्यापक असर डाला है, और बदलते परिवेश में असंख्य लोग शिक्षक नामक संस्था की आवश्यकता और प्रासंगिकता पर प्रश्नचिन्ह खड़े करने लगे हैं | उनको लगता है कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस विद्यार्थी को अंतर्वस्तु की जिस दुनिया में ले जा सकता है, उस दुनिया में शिष्य को पहुँचाना किसी भी शिक्षक के लिए सम्भव नहीं है | निश्चित रूप से तकनीकी ने शिक्षण प्रक्रिया को बदला है, एवं शिक्षार्थी के लिए इंटरेक्टिव ज्ञानार्जन का एक विकल्प प्रदान किया है | तथ्य को टेक्स्ट, आवाज, एवं दृश्य के संगम के रूप में प्रस्तुत करके उसकी ग्राह्यता को बढ़ाकर आधुनिक तकनीकी ने एक नया परिदृश्य तैयार कर दिया है जो तेजी से विद्यार्जन के केंद्र रहे शिक्षक नामक संस्था के सामने चुनौती प्रस्तुत कर रही है | आज ए आई के कई टूल्स उपलब्ध हैं जो विद्यार्थी को दत्त-कार्य पूरा करने में सहायता करते हैं तो वहीं कई ऐसे टूल्स भी हैं जो शिक्षक को शिक्षार्थी के कार्य की समीक्षा करने एवं मूल्...