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जिंदगी आगे बढ़ने का नाम है...

दोस्तों जिंदगी में हम तभी खुश रह सकते है जब जिंदगी को सही मायने में समझे ...... जो हो गया है उसे याद ना करो, कर्म करो फ़रियाद ना करो। छूना है अगर बुलंदियों को , कभी वक़्त बर्बाद ना करो॥ जिंदगी में सबके सामने कोई ना कोई ऐसा पल आता है जब हम वक़्त के आगे खुद को असहाय पते है, मगर... जिंदगी वहीँ रुक नहीं जाती ... वक़्त हमें आगे बढ़ने का कोई ना कोई मौका जरुर देता है ....

नेता जी कहिन

१-कृषि मंत्री शरद पवार , महंगाई पर उनके उद्गार। ज्योतिषी नहीं मै सुनो विपक्षी, तुम सब हो समझदार। अगले चुनाव में विजयी होकर, जब सत्ता में फिर आऊंगा। bhandargrih में रखे अनाज, गरीबो में बत्वाऊंगा। । भाजापाअध्यक्ष नितिन गडकरी, संबोधित कर रहे थे रैली। लालू मुलायम को कुत्ता बोल, खूब करायी किरकिरी । राजनीती में नाम के खातिर कई हथकंडे अपनाते है लोग , नितिन बेचारे क्या करे, जुबान फिसलने का है रोग । । रेल मंत्री ममता दीदी, जा रही थी सरपट दौड़ी। जब जब हुआ ट्रेन हादसा, वे सब इतना ही बोली । । विरोधियों ने साजिश रचकर, यह दुर्घटना है करवाया। आरोप लगाना विपक्ष पर, सबसे आसन काम है भाया । । राज ठाकरे की बात निराली, उत्तर भारतियों को देकर गाली। बनने चले है नेता वो, पकाते रहते पुलाव ख्याली । छपास रोग से पीड़ित राज, उन्हें नहीं शर्म और लाज। उड़ाते रहते कानून की खिल्ली, बयानबाजी को रहते बेताब । । राष्ट्रमंडल खेलों को लेकर, सतत बयां का दौर है जारी। गिल साहब का कहना है, झोंक देंगे हम ताकत सारी । । अब ! कौन सी ताकत वे झोंक रहे, हवा में तीरें फ़ेंक रहे । जनता के पैसों पर सब, अपनी रोटियां ...

हिंदी पत्रकारिता : दशा एवं दिशा

हिंदी पत्रकारिता का बदलता स्वरुप अवं चुनौतियाँ ...३० मई को हिंदी पत्रकारिता एक नए वर्ष में प्रवेश कर लेगी और इसके साथ ही हम हिंदी पत्रकारिता दिवस पर इसके स्वरुप पर चर्चा कर रहे होंगे तथा इसके स्वरुप में तेजी से हो रहे बदलाव के लिए समाज को कोसने का कम कर रहे होंगे । आज जब हर तरफ तेजी से बदलाव हो रहे है ऐसे में हिंदी पत्रकारिता पर इनका प्रभाव नहीं पड़ेगा, ऐसा सोचना बेमानी ही होगा... विगत कुछ वर्षो में व्यावसायिकता की आंधी ने इसके मजबूत दीवारों को काफी हद तक कमजोर कर दिया है, इसके स्वरुप को काफी विकृत कर दिया है...और हम सिर्फ खेद प्रकट कर सकने के सिवा कुछ भी नहीं कर सके है। प्रत्येक वर्ष की भांति इस वर्ष भी हम सिर्फ चिंता प्रकट कर अपने उत्तरदायित्वों की इतिश्री कर लेंगे । अगर ऐसा ही चलता रहा तो आम आदमी की पीड़ा को व्यक्त करने वाली इस संस्था से आम आदमी गायब हो जायेगा और आम आदमी को न्याय दिलाने वाली यह संस्था अभिजात्य वर्ग की प्रवक्ता बन कर रह जाएगी। खबरों के चयन का आधार और प्रस्तुतीकरण जिस तरह से बदल रहा है उससे तो यही लगता है की इस विधा के पुरोधा ही इसकी लुटिया डुबोने पर आमादा हो गएँ है।...

हम भी इंसान hain

गम में होती है आँखें नम हमारी ,दुःख में हम भी रोते है गमो की चादर बीछा हम तो ही सोते हैं हम भी देखते है सपने और पूरा होने की उम्मीद करते है ये और बात है की हर पल ही ज़िन्दगी की तलाश में रहते है सब भूल चुके है भले ही हमें हमारे अस्तित्व को लेकिन कल उन्हें सोचना होगा की इस दुनिया में हमारा भी है वजूद क्योंकि हम भी इन्सान है

jeevan mantra

नहीं असंभव कुछ भी,न कुछ भी नामुमकिन यहाँ पत्थर टूटे शीशे से,सब कुछ है मुमकिन यहाँ...... छूना है अगर चाँद को..आसमान को झुकाना है.. पाताल उठाकर या तुझे धरती पर लाना है.... कर हौसला बुलंद अगर मंजिल को पाना है.... ज़िन्दगी की राह में आयेंगे पथरीले राश्ते.. चलना होगा तुझे इसपर,सुनहरे कल के वास्ते...

Our life

dosto....life is the beautiful gift of God...there are a lot of ups and downs in our life ....look, imagine feel and enjoy...these four words give proper direction to our life..these make our path so easy to achieve our goal...when we try to get our dream..its create recquired envoirnment....when we try to run away from responsibilities..its create hurdles...but zindagi to chalne ka naam hai..chalti hi rahti hai..aakhiri sanso tak...