महंगाई के मारे, नेताजी बेचारे ( व्यंग्य )
महंगाई की मार से आज न सिर्फ आम जनता परेशान है बल्कि देश के नेताओं के सामने भी रोटी – दाल का संकट आ खड़ा हुआ है । कई नेता तो शपथ ग्रहण के तुरन्त बाद से ही परेशान हैं कि इस महंगाई डायन से कैसे निपटें । कुछ एक नेता जी तो यह सोच – सोच कर ब्लडप्रेशर के मरीज हो चुके हैं । इसी वजह से प्रधानमंत्री महोदय आजकल बहुत चिंतित नज़र आते हैं । पिछले कुछ सालों में उन्होंने सार्वजनिक मंचों से कई बार इस बात को दोहराया है कि गरीबों का दर्द वो भली – भांति समझ सकते हैं । ये अलग बात है कि इस दौरान न गरीबों का दर्द कम हुआ है और न ही गरीबी । प्रधानमंत्री जी नोटबंदी से लेकर तमाम उपाय कर चुके हैं । वे तो पैसों का पेड़ भी लगाने को तैयार थे परन्तु पूर्व प्रधानमंत्री का मानना था कि पैसे पेड़ पर नहीं उगते हैं । इसलिए इन्होंने पैसों के पेड़ वाला आईडिया ड्रॉप कर दिया । अब आप ही बताइये वो पूर्व प्रधानमंत्री की तौहीन कैसे करते ? और तो और उनके बात में दम भी था क्योंकि अगर पैसे पेड़ पर उगते तो उनके मंत्रियों को घोटाले करने की जरुरत ही नहीं पड़ती। बेचारे नेताजी पांच साल में झूठ बेईमानी और भ्रष्टाचार के बल प...