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हमने देखा है

  हमने देखा है यू पी को  बदलते  हुए, आगे बढ़ते हुए इसको  संवरते   हुए | छूट गया था राह में जो पीछे कभी, तेज चलते हुए इसको निखरते हुए || हमने देखा है ……. राम की अयोध्या भी खुशहाल है, मेरी काशी का भी बदला हाल है | सुनाई देने लगी मंदिरों की घंटियाँ, ध्वज सनातन का फिर फहरते हुए || हमने देखा है …… नफरतों ने जलाये थे जो घर कभी, फिर से बनते हुए उसे संवरते हुए | कबीर लड़ते रहे थे उम्र भर जिससे, जमी बर्फ को दिलों से पिघलते हुए || हमने देखा है … चल पड़ा है जो मंजिल की ओर, देख सकते नहीं अब ठहरते हुए   | चारों दिशाओं में फैलेगी खुश्बू , हवाएं भी कहेंगी ये गुजरते हुए   || हमने देखा है … चंद कदम चले हैं चलते ही जाना है, सपनों को ‘दीप’ सच कर दिखाना है | बंजर सी जमीं में फुंट रहे हैं अंकुर, देखना है इसमें फूल निकलते हुए || हमने देखा है …    

जनहित में त्याग ( व्यंग्य )

जनहित में त्याग करना कोई माननीयों से सीखे | मजाल है कि जनहित के मामले में इनसे कोई अनदेखी हो जाय | जनता की सेवा के लिए दिन-रात एक कर देने वाले माननीय जनहित को ध्यान में रखकर अपनी कुर्सी का त्याग एक मिनट में कर देते हैं, बशर्ते दूसरी पार्टी में जन-कल्याण का रास्ता खुला हो | जनता की सेवा को सर्वोपरि मानने वाले महोदय क्या कुछ नहीं करते हैं, राजनीति जैसे कठिन पेशे में अपने बेटे-बेटी, भाई-भतीजा यहाँ तक कि दूर के रिश्तेदार को भी लेकर आते हैं जिससे आम जनता को किसी मुश्किल का सामना न करना पड़े, साथ ही अवसर मिलने पर वे अपने पूरे कुनबे को त्याग के लिए प्रेरित कर सकें | आखिर जनहित का मामला जो है | जनता के लिए उनका कुछ कर्तव्य है | माननीय जैसा त्यागी तो दधिची जी भी नहीं थे | उन्होंने तो सिर्फ अपनी हड्डियों का दान किया था जबकि माननीय उस कुर्सी का परित्याग कर देते हैं जिसमें उनकी आत्मा निवास करती है | ऋषि दधिची ने तो केवल अपनी हड्डियों का त्याग किया था, माननीय तो पूरे परिवार, रिश्तेदार, एवं समर्थकों के साथ त्याग करने को आतुर दिखते हैं | कुछ माननीयों के लिए यह त्याग पंचवर्षीय योजना की तरह होता है तो व...

तकनीकी ने बदला चुनाव प्रचार का परम्परागत तरीका

  कोविड की तीसरी लहर के आशंका के बीच ही भारतीय निर्वाचन आयोग ने पाँच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव की तिथियों का ऐलान कर दिया है | इसके साथ ही आयोग द्वारा प्रचार के लिए एक दिशा-निर्देश भी जारी किया गया है जिसने इन राज्यों में चुनावी ताल ठोकने जा रहे राजनीतिक दलों को प्रचार के परम्परागत तरीकों को छोड़कर ‘वर्चुअल प्रचार’ की तरफ़ कदम बढ़ाने को विवश कर दिया है | भले ही ये दिशा-निर्देश आगामी १५ जनवरी तक के लिए है परन्तु कोरोना की वर्तमान स्थिति को देखते हुए यह स्पष्ट है कि राजनैतिक दलों को रैली एवं पदयात्रा की अनुमति मिलना सम्भव नहीं है, एवं सभी राजनैतिक दलों को संचार माध्यमों के साथ ही चुनाव प्रचार को आगे बढ़ाना होगा जिसमें सोशल मीडिया की भूमिका अहम होगी | आज सोशल मीडिया न सिर्फ लाखों वोटर को प्रभावित करने की ताकत रखती है अपितु मुख्य धारा की मीडिया को भी दिशा-निर्देशित करने की क्षमता रखती है | किसी नेता द्वारा किया गया एक ‘ट्विट’ सभी मीडिया को उस सूचना के आस-पास प्रमुख समाचार देने को मजबूर कर सकता है तो वहीं फेसबुक पर साझा किया गया वीडियो लाखों उपभोक्ताओं के विचारों को प्रभावित करने...