जल स्रोतों को बचाना जरुरी
पिछले कुछ वर्षों में देश के लगभग सभी प्रमुख शहरों में पेय जल का संकट देखने को मिला है वहीं ग्रामीण क्षेत्र भी सूखते जलस्रोतों को देखने को विवश दिखे हैं | एक तरफ गंगा, यमुना, कावेरी, एवं नर्मदा जैसी बड़ी नदियों का स्वतन्त्र जल प्रवाह अवरूद्ध होता दिखा है वहीं वर्षों से ग्रामीण जीवन का हिस्सा रहे कुएं एवं नलकूप का जल स्तर भी बेहद नीचे पहुँच चुका है | ताल, तलैया जहाँ बीते दिनों की बात हैं वहीं देश की प्रमुख झील सूखे का दंश झेलने को विवश हैं | तमाम सरकारी प्रयासों के बावजूद छोटे तालाब एवं पोखर भी दयनीय स्थिति में ही दिखते हैं | जल स्रोतों के रूप में उपलब्ध लगभग सभी विकल्प आज गम्भीर संकट का सामना कर रहे हैं | सरकारी तंत्र की अनदेखी एवं आम जनमानस की उपेक्षा से भले ही जल स्रोत संकट ग्रस्त दिखते हैं परन्तु वास्तविकता यह है कि इससे पूरा जीवन तंत्र ही खतरे में है | जल ही जीवन है, सदियों पुरानी यह उक्ति हमारे जीवन में जल की उपयोगिता को रेखांकित करती है और हमें सचेत करती है कि जिस दिन जल स्रोतों का अस्तित्व समाप्त हो जायेगा, उस दिन पृथ्वी पर जीवन समाप्त हो जायेगा | नदियाँ मानव सभ्यता के विकास की स...