मानसिक प्रदूषण फैलाते टीवी डिबेट
विगत कुछ वर्षों से समाचार चैनलों पर समसामयिक विषय पर ‘बहस’ को अनिवार्य रूप से दिखाया जा रहा है | भले ही इस चर्चा-परिचर्चा के पीछे चैनल का आर्थिक गणित छुपा हुआ है परन्तु देखा जाय तो ‘टीवी डिबेट’ ने देश के सामाजिक गणित को सबसे अधिक प्रभावित किया है | किसी भी लोकतान्त्रिक देश में किसी विषय पर चर्चा करना, स्वस्थ लोकतंत्र को मजबूती प्रदान करता है परन्तु जिस प्रकार से समाचार चैनलों पर चर्चा होती है, निश्चित रूप से यह मानसिक प्रदूषण को फ़ैलाने का कार्य करता है | इन चर्चाओं के पीछे न सिर्फ समाचार चैनल का एक ‘एजेंडा’ छिपा हुआ दिखलाई देता है अपितु कई बार यह चर्चा किसी प्रमुख मुद्दे से ध्यान भटकाने का कार्य करती है | हास्यास्पद तब होता है जब एक ही विशेषज्ञ विभिन्न विषय पर चर्चा करता हुआ नजर आता है, ऐसे में विषय की गम्भीरता प्रभावित होना स्वाभाविक है | कभी-कभी तो न्यूज़ एंकर पक्ष या विपक्ष की तरफ से बोलता हुआ नजर आता है जिससे समाचार चैनल की वस्तुनिष्ठता प्रभावित होती है | किसी भी विषय पर चर्चा करते समय, चर्चा को राजनीतिक रंग देना आज सामान्य बात है परन्तु इससे न तो विषय के साथ न्याय होता...