संदेश

अगस्त, 2017 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

असली दुकान

                                      क्या आप समस्याओं से परेशान हैं ? क्या आपको मनचाहा प्यार नहीं मिल रहा ? या फिर तमाम कोशिश के बावजूद सफलता नहीं मिल रही ? तो आज ही आप हमारे नजदीकी दुकान में संपर्क करें । अरे ! आप उधर कहाँ जा रहे ? आपका ध्यान किधर है ? बाबा बंगाली की असली दुकान इधर है । नक्कलों से सावधान रहें । सिर्फ हमारी दुकान ही बाबा जी की असली दुकान है इसलिए नक्कलों से सावधान रहें ।  जी हाँ ! भारत जैसे विविधताओं वाले देश में हर गली हर चौराहे और जिले से लेकर प्रदेश तक ऐसी असली दुकानों की भरमार है । इन दुकानों में आपके हर मर्ज की दवा भी उपलब्ध है । हर दुकानदार बस इस बात की प्रतीक्षा में लगा होता है कि आप जैसा ग्राहक सिर्फ एक बार उसके दुकान में आ जाए फिर क्या मजाल उसका कि वह दूसरी दुकान की तरफ रुख कर सके । ये दुकानें आपके हर समस्या का समाधान करने का सौ फीसदी दावा करती हैं और तो और बाबा बंगाली की दुकान तो समस्या न ख़त्म होने की दशा में एक मोटी रकम देने का भी दावा करती है । ह...

जाँच जारी है जनाब

कहते हैं सच को लाख छुपाया जाय यह छुपता नहीं है । यह किसी न किसी रूप में सामने आ ही जाता है ।   भले ही इसे सामने आने में सालों लग जाय और इस सच को सामने लाने का काम किसी न किसी जाँच विभाग का होता है जिसे बाल की खाल निकाल कर सत्य की जड़ तक पहुँचना होता है । अब आप कहेंगे की आप के पड़ोसी शुक्ला जी भी तो हमेशा बाल की खाल निकालते रहते हैं । मसलन मोहल्ले में किसके यहाँ कौन आया? कहाँ से आया ? किस काम से आया ? इत्यादि का पता लगाकर ही दम लेते हैं । जाँच-पड़ताल की इस शोध उपलब्धि की प्रक्रिया में मन्दिर के घंटे की तरह कई बार बज भी चुके हैं फिर भी अपना काम बड़ी तल्लीनता के साथ करते हैं ।    खैर ! हमारे देश में कुछ जाँच इस शिद्दत के साथ की जाती है कि जब जाँच पूरी होती है तो जिसकी जाँच चल रही होती है वो दूसरी दुनिया में जाँच करा रहा होता है  और कभी कभी तो जाँच करने वाले की ही जाँच की नौबत आ जाती है । बिहार को ही लें, कुछ साल पहले पशुओं का चारा कोई खा गया था । अब खाने वाली चीज को किसी ने खा लिया तो इसमें हाय तौबा की नौबत कहाँ से आई, लेकिन नहीं ! जाँच तो जरुरी थी जनाब । ज...