असली दुकान
क्या आप समस्याओं से
परेशान हैं ? क्या आपको मनचाहा प्यार नहीं मिल रहा ? या फिर तमाम कोशिश के बावजूद
सफलता नहीं मिल रही ? तो आज ही आप हमारे नजदीकी दुकान में संपर्क करें । अरे ! आप उधर कहाँ जा रहे ? आपका ध्यान किधर है
? बाबा बंगाली की असली दुकान इधर है । नक्कलों से सावधान रहें । सिर्फ हमारी दुकान
ही बाबा जी की असली दुकान है इसलिए नक्कलों से सावधान रहें । जी हाँ
! भारत जैसे विविधताओं वाले देश में हर गली हर चौराहे और जिले से लेकर प्रदेश तक
ऐसी असली दुकानों की भरमार है । इन दुकानों में आपके हर मर्ज की दवा भी उपलब्ध
है । हर दुकानदार बस इस बात की प्रतीक्षा में लगा होता है कि आप जैसा ग्राहक सिर्फ
एक बार उसके दुकान में आ जाए फिर क्या मजाल उसका कि वह दूसरी दुकान की तरफ रुख कर
सके । ये दुकानें आपके हर समस्या का समाधान करने का सौ फीसदी दावा करती हैं और तो
और बाबा बंगाली की दुकान तो समस्या न ख़त्म होने की दशा में एक मोटी रकम देने का भी
दावा करती है । हर गली में आपको ऐसी दुकानों के बैनर पोस्टर लगे मिल
जायेंगे जो प्रमुखता से दावा करते हैं, हर प्रकार की समस्या को जड़ से उखाड़ फेकने
की ।
विगत कुछ वर्षों में
इन दुकानों की फ्रेंचाइजी की भी भरमार सी आ गयी है । अब इनकी फ्रेंचाइजी
न सिर्फ देश के भीतर बल्कि विदेशों में भी खुल रही हैं । विदेशों में
ग्राहकों की बड़ी संख्या को देखते हुए कई दुकानदार बड़ी तेजी से इस दिशा में अपना
कदम बढ़ा रहे हैं । विदेशों में
फ्रेंचाइजी खोलने के पीछे इन दुकानदारों का तर्क यह होता है कि वो भेदभाव में
विश्वास नहीं करते । इनका तर्क भी सही है क्योंकि दुकानदार के लिए क्या काला और
क्या गोरा ? क्या हिन्दू और क्या मुस्लिम ? क्या सिख और क्या इसाई ? उन्हें तो
सिर्फ ग्राहक के ज़ेब से मतलब होता है । ये दुकानें आत्मा को परमात्मा से मिलाने का
दावा भी करती हैं । साथ ही साथ भौतिक सुख सुविधाओं से दूर रहने की सलाह भी
देती हैं । एक दुकानदार हैं जो
यह बताने के लिए कि पैसा हाथ का मैल है, अपने ग्राहकों से लाखों रूपये वसूलते हैं
और उनके ग्राहक इस बात से खुश होते हैं कि कुछ हजार देकर ही उन्हें जीवन की यह सच्चाई
समझ आ गयी कि पैसे का कोई मोल नहीं । एक सज्जन तो अपने दरबार यानि दुकान में ग्राहकों
को गोलगप्पे खिलाकर उनकी समस्या समाप्त कर देते हैं और बदले में मात्र प्रति
ग्राहक दो हजार वसूलते हैं ।
भौतिक सुख सुविधाओं
का परहेज बताने वाली ये दुकानें वातानुकूलित यन्त्रों से सुसज्जित होती हैं । यहाँ वो तमाम सुविधाएं उपलब्ध होती हैं जिनका उपयोग करना
सभी दुकानदार हानिकारक बताते हैं । सात्विक जीवन की वकालत करने वाले ये दुकानदार
हर सुख सुविधा का उपभोग करना चाहते हैं । वासना से दूर रहने की हिदायत देने वाले इन
दुकानदारों का रोम- रोम वासना में डूबा होता है । भौतिक सम्पत्ति को
मिट्टी का ढेर बताने वाले ये दूकानदार सैकड़ों एकड़ जमीन हथिया कर बैठे होते हैं
जिनपर मालिकाना हक इनके पारिवारिक सदस्य का होता है, और पीढ़ी दर पीढ़ी इनकी
संपत्तियों में बढ़ोत्तरी होती रहती है । सांसारिक मोह माया के चक्कर से दूर रहने की
सलाह देने वाले इन दुकानदारों का ज्यादातर समय नोटों के बण्डल सहेजते हुए बीतता है
। राम और रहीम के नाम
की दुकान चलाने वालों को न ही इन नामों से कोई सरोकार होता है, न ही जिंदगी के
झंझावातों से दो चार हो रहे आप जैसे ग्राहकों से । इनका सरोकार आप
द्वारा चुकाई जा रही फ़ीस से होता है जिसे आप दुकान में प्रवेश करते समय काउन्टर पर
जमा कराते हो ।
इन दुकानों की सबसे
बड़ी विशेषता यह होती है कि यहाँ आपको सेवा कर नहीं देना होता है । यहाँ न ही जी० एस०
टी० लगती है और न ही आपके द्वारा जमा कराई गयी रकम का कोई लेखा जोखा ही उपलब्ध
होता है । कई दुकाने तो बकायदा अपने ग्राहकों के काले पैसे को सफ़ेद
कर उनको समस्या मुक्त करने का भी कार्य करती हैं । उनकी इस सेवा कार्य
का नेता बिरादरी जम कर फायदा उठाती है और उठाये क्यों नहीं, आखिर बिना इन दुकानों
की मदद के चुनावी वैतरणी पार करना भी तो काफी मुश्किल होता है । देश विदेश कहीं भी
पैसा पहुँचाना है, आपको इनकी फ्रेंचाइजी की सुविधा उपलब्ध है । पलक झपकते ही आप
दुनिया के किसी कोने में अपना पैसा पहुंचा सकते हैं । इन दुकानों में
आपको फाइव स्टार होटल की सारी सुविधाएँ मिल सकती हैं । इन दुकानों का सालाना जलसा भी बड़े शानदार तरीके
से मनाया जाता है । इन दुकानों में काम करने वाले कर्मचारी अपने ग्राहकों को
तरह- तरह के लुभावने ऑफ़र देते हैं जिससे वो अपने आस – पास के लोगों को ग्राहक बना
सकें । इन नये ग्राहकों को दुकान तक पहुँचाने का कार्य पुराने ग्राहक करते हैं जिसके
बदले उन्हें विभिन्न तरह की सुविधाएँ मिलती हैं । फिर नया ग्राहक
अगले साल ग्राहकों को दुकान तक पहुँचाने के लिए कमर कस लेता है । यह सिलसिला लगातार
चलता रहता है ।
धर्म का व्यवसाय
करने वाली इन दुकानों में यूँ तो हर समस्या का समाधान करने की बात की जाती है
परन्तु वास्तव में व्यक्ति को अन्धा कर उनसे पैसे वसूलने का कार्य ही किया जाता है
। इन दुकानों में
प्रायः विक्षिप्त मानसिकता के लोग भरे होते हैं जिनका इलाज न सिर्फ समाज हित में
जरुरी है बल्कि देश की एकता और अखंडता के लिए भी जरूरी है । धर्म पर कापीराइट
समझने वाली इन दुकानों को तत्काल प्रभाव से बन्द करने की जरूरत है और धर्म की
दुकानदारी करने वालों को सख्त सजा देने की
वरना इन दुकानों की संख्या कुकुरमुत्ते की तरह बढ़ती ही जाएगी और धर्म के
तथाकथित ये ठेकेदार देश को खोखला कर देंगे । समाज को बाँटने का धन्धा करने वाली इन दुकानों
का वजूद तभी मिट सकता है जबकि इस देश के लोग इन दुकानों से दूरी बना लें और इनके
लोक लुभावन वादों के झांसों में न आएं । इन दुकानदारों का सम्पूर्ण बहिष्कार जरूरी है
वरना ये जोक बनकर हमारा खून चूसते रहेंगे ।
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