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सितंबर, 2018 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

चुनाव नजदीक है

कल गाँव से भैया का फ़ोन आया था । बता रहे थे कि ३ साल पहले जो पुलिया टूट गयी थी और जिसकी वजह से सैकड़ों गाँव के लोगों को शहर जाने के लिए कई किलोमीटर ज्यादा चलना पड़ता था , उसके मरम्मत का काम शुरू हो गया है । सांसद निधि से सांसद महोदय ने पुरे २२ लाख रूपये दिए हैं और साथ ही पी डब्ल्यू डी के अभियन्ता को निर्देश भी कि जल्द से जल्द पुलिया के मरम्मत का काम पूरा कर उन्हें रिपोर्ट भेजा जाय । माननीय ने सभी आला अधिकारियों को लताड़ भी लगाई । उन्होंने कहा कि मेरे क्षेत्र की जनता को किसी भी तरह की तकलीफ हो , कत्तई बर्दाश्त नहीं किया जायेगा । मैंने भैया से पूछा कि क्या सांसद जी को पुलिया टूटने की ख़बर नहीं थी ? पिछले ३ साल में वो कभी गाँव के तरफ नहीं गये ? क्या उनके शुभचिंतकों ने उन्हें गाँव वालों की परेशानियों से अवगत नहीं कराया ? इतने सारे प्रश्न सुनकर भैया ने बात को टालते हुए कहा कि माननीय के पास क्षेत्र के अलावा सैकड़ों काम हैं , रही बात इस तरफ आने कि तो मंत्री बनने के बाद विधानसभा चुनाव के दौरान हेलीकॉप्टर से   प्रचार करने आये थे , ऐसे में इतनी छोटी समस्या पर उनका ध्यान ही नहीं गया होगा या फ...

अंगूर खट्टे हैं

             कल मेरे एक छात्र ने मुझसे पूछा कि अंगूर का स्वाद कैसा होता है ? मुझे उसका प्रश्न कुछ अटपटा लगा परन्तु बात एक होनहार छात्र की थी अतः उससे बिना सिर पैर के प्रश्न की उम्मीद भी नहीं थी । मै आश्वस्त था कि यह होनहार छात्र जरुर   किसी गम्भीर प्रश्न को हल करना चाहता होगा तभी तो ऐसे जटील प्रश्न से मेरी परीक्षा ले रहा । वैसे तो मुझे सटीक उत्तर नहीं मालूम था परन्तु अध्यापक होने के नाते उत्तर देना भी आवश्यक था । ऐसे में मैंने भी वही किया जो अधिसंख्य अध्यापक करते हैं । प्रश्न को छात्रों के पाले में डाल दिया । कुछ देर तक सन्नाटा छाया रहा । कुछ छात्र डर के मारे कुछ नहीं बोल रहे थे तो कुछ को शायद प्रश्न समझ में नहीं आया था । कुछ देर के सन्नाटे के बाद दीपक नाम के एक छात्र ने उत्तर दिया, सर अंगूर तो खट्टे भी होते हैं और मीठे भी । बचपन में सुना था कि अंगूर मिल जाएँ तो खट्टे और नहीं मिले तो मीठे होते हैं । कुछ अंगूर हमेशा खट्टे होते हैं और कुछ हमेशा मीठे, वहीं कुछ मौसमानुकूल अपना स्वाद बदल लेते हैं । कुछ अंगूर का एक विशेष...