संदेश

मार्च, 2024 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

गंभीर होती पानी की समस्या

चित्र
  विगत दिनों भारत के प्रमुख शहर बेंगलुरु में उत्पन्न जल संकट की भयावह स्थिति ने भविष्य में आने वाले गम्भीर संकट की तरफ लोगों का ध्यान खींचने का कार्य किया | जल संकट की यह भयावह स्थिति लगभग सभी बड़े शहरों में दस्तक दे रही है | पूर्व में चेन्नई जैसे बड़े शहर में गम्भीर जल संकट की स्थिति हम देख चुके हैं जबकि देश की राजधानी दिल्ली में भी विगत कुछ वर्षों से गर्मी के मौसम में पेय-जल संकट जैसी समस्या देखने को मिल रही है | जल की बूँदें न सिर्फ अमृत समान हैं अपितु पृथ्वी पर जीवन की संवाहक भी हैं | जल के बिना हम जीवन की कल्पना भी नहीं कर सकते हैं | जल न सिर्फ मनुष्य के लिए आवश्यक है अपितु पशु, पक्षी, पेड़, एवं पौधों के अस्तित्व के लिए भी यह अनिवार्य घटक है | ऐसे में जल संरक्षण अत्यंत महत्वपूर्ण हो जाता है | पृथ्वी का ७१ प्रतिशत हिस्सा पानी से ढका होने के बावजूद हम जल संकट का दंश झेलने के लिए विवश हैं क्योंकि पृथ्वी पर उपलब्ध जल का ९७ प्रतिशत हिस्सा समुद्र के खारे जल के रूप में है जबकि स्वच्छ पेय जल की मात्रा मात्र ३ प्रतिशत ही है जिसमें से २.४ प्रतिशत ग्लेशियर के रूप में एवं शेष नदियों के जल एव...

ज़ख्म

  जब भी दर्द हुआ मुस्कुरा लिया हमने | बंद पलकों में अश्क चुरा लिया हमने || पढ़ न ले कोई दिल- ए- किताब मेरी | दर्द भरे पन्नों को   छुपा लिया हमने || भीग गयी पलकें जब तन्हाई में कभी | छुपकर अश्कों से नहा लिया हमने || बिखेर गये अपनी यादों को रेत में | दे गये तन्हाई वे मुझे अपनी भेंट में || वक्त के रेत में बिखरी यादों को उनके | ख्वाब-ए-दुनिया में सजा लिया हमने || खुश हैं आज वो ‘दीप’ मुझको भुलाकर | गये थे दूर कभी जो मुझको रुलाकर || ज़ख्म ही हैं अब मेरी ज़ख्मों की दवा | ज़ख्म उनके सीने से लगा लिया हमने ||  

सशक्त राष्ट्र के लिए आवश्यक है महिला सशक्तिकरण

चित्र
  कोई भी राष्ट्र तब तक समृद्ध एवं सशक्त नहीं हो सकता जब तक कि उसकी समृद्धि में समग्र सामाजिक इकाईयों की सहभागिता न हो | ऐसे में सामाजिक इकाई की आधार स्तम्भ रुपी नारी शक्ति के सहभागिता के बिना सशक्त राष्ट्र की कल्पना भी नहीं की जा सकती | समाज की सबसे छोटी इकाई परिवार हो अथवा सबसे बड़ी इकाई राष्ट्र, महिला सहभागिता के बिना सही ढंग से संचालित नहीं हो सकता या यूँ कहें कि महिला प्रत्येक सामाजिक इकाई के संचालन की सर्व-प्रमुख कड़ी है | आर्थिक, सामाजिक, एवं राजनैतिक क्षेत्र में समुचित महिला भागीदारी देश के विकास को गति प्रदान करने की क्षमता रखती है, साथ ही महिला सशक्तिकरण के जरिये सामाजिक विषमता को दूर करने में सहायक हो सकती है | भारत जैसे लोकतान्त्रिक देश के लिए यह और भी महत्वपूर्ण हो जाता है कि महिलाओं को भी पुरुषों के समान ही अधिकार मिले, हमारा संविधान भी लैंगिक आधार पर किसी प्रकार के विभेद की मनाही करता है | आज़ादी के ७५ वर्ष बीत जाने के बाद भी हम लैंगिक आधार पर विभेद को पूर्णरूपेण समाप्त नहीं कर सके हैं और प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रूप से हम समाज के इस महत्वपूर्ण अंग को समान रूप से प्रतिन...