सशक्त राष्ट्र के लिए आवश्यक है महिला सशक्तिकरण
कोई भी राष्ट्र तब तक समृद्ध एवं
सशक्त नहीं हो सकता जब तक कि उसकी समृद्धि में समग्र सामाजिक इकाईयों की सहभागिता
न हो | ऐसे में सामाजिक इकाई की आधार स्तम्भ रुपी नारी शक्ति के सहभागिता के बिना
सशक्त राष्ट्र की कल्पना भी नहीं की जा सकती | समाज की सबसे छोटी इकाई परिवार हो
अथवा सबसे बड़ी इकाई राष्ट्र, महिला सहभागिता के बिना सही ढंग से संचालित नहीं हो
सकता या यूँ कहें कि महिला प्रत्येक सामाजिक इकाई के संचालन की सर्व-प्रमुख कड़ी है
| आर्थिक, सामाजिक, एवं राजनैतिक क्षेत्र में समुचित महिला भागीदारी देश के विकास
को गति प्रदान करने की क्षमता रखती है, साथ ही महिला सशक्तिकरण के जरिये सामाजिक
विषमता को दूर करने में सहायक हो सकती है | भारत जैसे लोकतान्त्रिक देश के लिए यह
और भी महत्वपूर्ण हो जाता है कि महिलाओं को भी पुरुषों के समान ही अधिकार मिले,
हमारा संविधान भी लैंगिक आधार पर किसी प्रकार के विभेद की मनाही करता है | आज़ादी
के ७५ वर्ष बीत जाने के बाद भी हम लैंगिक आधार पर विभेद को पूर्णरूपेण समाप्त नहीं
कर सके हैं और प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रूप से हम समाज के इस महत्वपूर्ण अंग को
समान रूप से प्रतिनिधित्व प्रदान करने में असफल रहे हैं | हालाँकि विगत कुछ वर्षों
में सरकार ने महिला सशक्तिकरण की दिशा में कई महत्वपूर्ण कदम बढ़ाया है जिसमें हाल
ही में संसद में पारित 33%
महिला आरक्षण रुपी ऐतिहासिक विधेयक को देखा जा सकता है | निश्चित तौर पर
पंचायती राज अधिनियम की भांति ही इसे भी एक क्रांतिकारी कदम के रूप में देखा जा
सकता है जिससे संसद में ‘नीति निर्माण प्रक्रिया’ में महिला हिस्सेदारी का मार्ग
प्रशस्त हो सकेगा | इससे भारतीय
राजनीति की न सिर्फ तस्वीर बदलने की उम्मीद है अपितु यह देश की सामाजिक, आर्थिक, एवं
राजनैतिक नीतियों पर भी असर डालेगा | पंचायतों में महिला
भागीदारी महिला सशक्तिकरण की मजबूत बुनियाद रखती है तो वहीं संसद में धीरे-धीरे
बढ़ता हुआ महिला प्रतिनिधित्व एक सकारात्मक संदेश देता है |
आज भले ही लोकसभा में महिला प्रतिनिधित्व 78 एवं राज्यसभा में 24 है, परन्तु आगामी कुछ वर्षों में जब यह संख्या एक तिहाई से अधिक होगी, महिलाओं
से जुड़े नीति निर्माण में महिलाओं की यथोचित आवाज शामिल होगी | आगामी लोकसभा में एक
तिहाई सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित न होने के बावजूद भी राजनैतिक दलों का नैतिक दायित्व
बनता है कि वे पर्याप्त संख्या में महिला उम्मीदवारों को टिकट दें क्योंकि अब तक
भारतीय राजनीतिक दल चुनावों में महिलाओं को टिकट देते समय कंजूसी ही करते रहे हैं |
सरकार में महिला मंत्रियों की संख्या भी अत्यन्त कम है जो महिला हितों पर असर
डालती है, एवं समग्र रूप से महिला सशक्तिकरण पर इसका असर
पड़ता है | महिला आरक्षण अधिनियम महिला सशक्तिकरण को आधार
प्रदान करने के साथ ही महिलाओं की अनदेखी पर भी लगाम कसेगा, फलस्वरूप
सिर्फ महिला हित की बात करने वाले दल, महिलाओं को टिकट देने
के लिए मजबूर होंगे | महिला सांसदों की संख्या बढ़ने से सरकार
में महिला मंत्रियों की संख्या भी बढ़ेगी जिससे महिलाओं से जुड़ी नीतियों के निर्माण
में महिला हिस्सेदारी भी बढ़ेगी | वर्तमान समय में महिलाएं
जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में अपना योगदान दे रही हैं, एवं
देश की प्रगति में पुरुषों के साथ कदम से कदम मिलाकर आगे बढ़ रही हैं | ऐसे में महिला सशक्तिकरण के आधारस्तम्भ के रूप में राजनैतिक क्षेत्र में
महिला आरक्षण से कई प्रकार के सकारात्मक बदलाव सुनिश्चित होंगे, जैसा कि पंचायती व्यवस्था में आरक्षण से कई प्रकार के सामाजिक, आर्थिक, एवं राजनैतिक बदलाव देखने को मिले हैं | वर्तमान समय में पंचायतों में महिला प्रतिनिधित्व 45.6% है जो कि आरक्षित एक तिहाई संख्या को पार कर चुका है, एवं ग्रामीण
महिलाओं के सशक्तिकरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है |
विकसित भारत का सपना साकार करने में भी ‘आधी आबादी’ की
भूमिका स्पष्ट नजर आती है, सरकार इस बात को भलीभांति जानती है कि महिलाओं की
स्थिति में सुधार के बिना भारत को विकसित राष्ट्र का दर्जा नहीं दिलाया जा सकता | ग्रामीण महिलाओं की स्थिति में सुधार की बात हो,
उन्हें आर्थिक रूप से सशक्त करने की बात हो, या जननी सुरक्षा एवं खुशहाल मातृत्व
से जुड़ी योजनाएं हो, सरकार का प्रयास है कि शिक्षा, स्वास्थ्य, एवं आर्थिक स्वावलंबन
से वंचित महिलाओं की स्थिति में सुधार हो, साथ ही उन्हें तकनीकी शिक्षा से भी जोड़ा
जाये जिससे वह तकनीकी के प्रयोग में सक्षम हो सकें | छात्राओं को स्मार्टफोन एवं
लैपटॉप जैसे उपकरण भी उपलब्ध कराये जा रहे हैं जिससे तकनीकी दृष्टि से वे सक्षम
एवं सशक्त हो सकें | महिलाओं द्वारा संचालित अनेक स्वयं सहायता समूहों को वित्तीय
सहायता प्रदान करने के पीछे सरकार की मंशा महिलाओं को आर्थिक दृष्टि से संपन्न
करना भी है | संतान के रूप में एक मात्र लड़की के अभिभावकों को कई प्रकार की सुविधा
प्रदान करने के पीछे सरकार का मकसद पुत्र-पुत्री में विभेद जैसी कुरीति को समाप्त
करना है जिससे बेटियों के जन्म को अभिभावक बोझ न समझें | आज पुत्र को वंश चलाने का अनिवार्य कारक मानने
वाली मानसिकता भी धीरे-धीरे बदल रही है, और समाज का एक वर्ग बेटा-बेटी एक समान की
धारणा को स्वीकार करने लगा है | महिला शिक्षा को लेकर वर्तमान सरकार गम्भीर दिखती
है, एवं सरकार की कई योजनाएं न सिर्फ महिला शिक्षा को प्रोत्साहित करती हैं अपितु
अनुकूल वातावरण के निर्माण में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं | आज महिलाएं
प्रत्येक क्षेत्र में बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रही हैं | फाइटर जेट चलाने से लेकर कठिन
से कठिन क्षेत्रों में महिला प्रतिनिधित्व बढ़ रहा है | महिला के रूप में देश के
सर्वोच्च पद पर आसीन राष्ट्रपति महिला सशक्तिकरण को मजबूत आधार प्रदान करती हैं तो
वहीं रक्षा क्षेत्र में महिला भागीदारी मजबूत राष्ट्र के भाव को बल प्रदान करता है
|
21 वीं सदी के भारत में महिला सशक्तिकरण नितान्त आवश्यक है जिसका रास्ता
राजनैतिक क्षेत्र में महिला भागीदारी से होकर जाता है | यह
सुनिश्चित करता है कि महिलाओं की आवाज़ सुनी जाये, महिलाओं से
जुड़ी नीतियों को बनाते समय महिला सहभागिता हो, एवं महिलाओं
को वास्तविक रूप में राजनैतिक प्रतिनिधित्व मिले | इसके लिए आवश्यक
है कि संविधान द्वारा प्रदत्त समानता का अधिकार सिर्फ कागजों तक सीमित न रहे | महिला
सशक्तिकरण के तमाम प्रयास तभी सफल होंगे जब महिलाएं अपने अधिकारों से अवगत होने के
साथ ही प्राप्त अवसर को पूरे आत्मविश्वास के साथ बिना किसी बैशाखी के भुना पायेंगी
| एक सशक्त भारत के निर्माण में भी महिलाओं की राजनैतिक
भागीदारी महत्वपूर्ण हो जाती है | हमारे वैदिक ग्रन्थ
‘अर्धनारीश्वर’ की जिस अवधारणा को प्रस्तुत करते हैं उसे साकार करने का यह
महत्वपूर्ण समय है | ऐसे में हम मातृ शक्ति को आर्थिक, सामाजिक, एवं राजनैतिक रूप
से समान रूप से सहभागी बनाकर देश की तस्वीर एवं तकदीर दोनों ही बदल सकते हैं | आज
समय की माँग है कि हम महिलाओं के प्रति अपनी सोच को बदलें और उन्हें आगे बढ़ने के
लिए प्रेरित एवं प्रोत्साहित करें जिससे वो न सिर्फ परिवार की समृद्धि की संवाहक
बनें अपितु राष्ट्रनिर्माण में भी उनकी सहभागिता सुनिश्चित हो सके |
Nice👏👏👏
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