भविष्य के लिए संकट पैदा करती पर्यावरण की अनदेखी

विगत कुछ वर्षों में पर्यावरण से जुड़ा मुद्दा वैश्विक विमर्श के साथ ही स्थानीय चर्चा के केंद्र में भी रहा है | विश्व के अधिसंख्य देश आज पर्यावरण में हो रहे बदलावों से चिंतित हैं तो वहीं इस क्षेत्र में कार्य करने वाली एजेंसियों के लिए नित नई चुनौतियां पैदा हो रही हैं | पर्यावरण में हो रहा प्रतिकूल बदलाव न सिर्फ मानव अस्तित्व के लिए खतरा है अपितु पृथ्वी पर जीवन के लिए भी खतरनाक है | मानव की उपभोक्तावादी सोच का गम्भीर परिणाम सभी जीव-जन्तुओं को भुगतना पड़ रहा है, एवं अनेक जीव-जंतु लुप्तप्राय हो चुके हैं | आधुनिक समाज ने जिस प्रकार से प्राकृतिक संसाधनों का अंधाधुंध दोहन किया है उससे यह खतरा निरंतर गम्भीर होता जा रहा है | एक तरफ वायुमंडल में ग्रीन हाउस गैसों के बढ़ने के कारण पृथ्वी का औसत तापमान बढ़ता जा रहा है तो वहीं दूसरी तरफ मौसम-चक्र भी व्यापक रूप से प्रभावित हुआ है | तेजी से बढ़ती जनसंख्या, वर्तमान पीढ़ी की पर्यावरण के प्रति उदासीनता, सरकारी नीतियों की अगम्भीरता, एवं पर्यावरण कानूनों का अप्रभावी एवं अपर्याप्त होना; प्रकृति को पूज्या के रूप में मानने वाले भारत को भी प्रकृति से दूर करता ज...