पर्यावरण दिवस
आज गमलों में पौधे लगाने लगे हैं | वो पर्यावरण दिवस मनाने लगे हैं ||
पोखर को पाटकर बनाया मकान | आज पानी की बूँदें बचाने लगे हैं ||
दम घुट रही है इस आबो- हवा में | ऐसी बातें सभी को बताने लगे हैं ||
जरा सी तपिश में हो जाते बेहाल | मौसम की बेरुखी वो सुनाने लगे हैं ||
दंभ था जिन्हें आधुनिक ज्ञान का | वो वेदों के संग वक्त बिताने लगे हैं ||
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