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दिसंबर, 2012 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

कितने सोशल हैं हम?

किसी भी समाज का ताना-बाना सामाजिक सम्बन्धों से बुना होता है। सामाजिक सम्बन्ध  न सिर्फ समाज की बुनियाद रखते हैं बल्कि उसकी संरचना को भी परिभाषित करते हैं। प्राचीन काल से ही भारतीय समाज को एक आदर्श समाज का दर्जा मिला हुआ है। विभिन्नताओं से भरा हुआ यह समाज विश्व भर में अनेकता में एकता के लिए जाना जाता है। जब भी सामाजिक मूल्य की बात होती है, संस्कारों की बात होती है, संवेदनाओं की बात होती है, संस्कृति की बात होती है, यह अगुआ की भूमिका में नजर आता है।पर  हजारों साल पुराने इस समाज को वेस्टर्न कल्चर का अनुकरण महंगा पड़ रहा है।कन्ज्युमरिज्म की सोच विकसित होने के साथ ही इसकी मजबूत दीवारें दरकने लगी हैं। विश्व को रिश्तों का ककहरा सिखाने वाले  हमारे समाज में रिश्तों का  रोज ही खून किया जा रहा है। अपने आपको मॉडर्न कहने वाले लोग आधुनिकता के नाम पर एक ऐसे समाज का निर्माण करने में लगे हैं जहाँ रिलेशन्स की कोई वैल्यू नहीं है। समाज की सबसे मजबूत इकाई परिवार का अस्तित्व मिटने के कगार पर है। मुंहबोले भाई द्वारा राखी का कर्ज चुकाने वाले इस समाज में जब सगा भाई बहन की...

क्यूँ?

दिल आज भी उसे याद करता क्यूँ है, मिलने की सौ फ़रियाद करता क्यूँ है। वो अज़ीज़ जो क़त्ल कर गया प्यार का, उस कातिल का इंतज़ार करता क्यूँ है।। जब भी भूलना चाहूँ अज़ीयत ए दास्ताँ, उस बेवफा का एहसास करता क्यूँ है। जो रचा गया प्यार के खूं से मेहन्दी 'दीप', उसके लौटने की चाह रखता क्यूँ है।। नाकाम ए आरज़ू भी मना सकी न जिसे, उसके दर्द से अब तक रिश्ता क्यूँ है। जो खुश है दुनिया में मुझको भुलाकर, दिल उसके एहसास से धड़कता क्यूँ है।।

रात्रिभोज

रात्रिभोज की परंपरा हमारे देश में सदियों से रही है। जब भी कोई मांगलिक आयोजन होता है , रात्रिभोज पर सगे सम्बन्धियों को आमंत्रित किया जाता है। रात्रिभोज कई बार तो सिर्फ जनसंपर्क बढ़ाने  के लिए ही रखा जाता है। यह आस पास के लोगों से मेल जोल बढ़ाने का ब्रह्मास्त्र है।विगत कुछ वर्षों में राजनितिक पार्टियों के लिए रात्रिभोज हर समस्या का समाधान प्रस्तुत करने वाला जादुई चिराग साबित हुआ है। विपक्ष सत्तापक्ष से सहमत न हो रहा हो , पुराने मित्रों से गिले शिकवे दूर करने हो या फिर  निर्दल जीते हुए प्रत्याशियों को चारा डालना हो, रात्रिभोज का आयोजन रामबाण का काम करता है। विगत कुछ दिनों में सत्तापक्ष ने रात्रिभोज आयोजित करने का नया रिकार्ड बनाया है। इनमे से ज्यादा रात्रिभोज सरकार को बचाने के लिए या ऍम फैक्टर को अपने पक्ष में करने के लिए  रखे गये। आज संसद में एफ डी आई के मुद्दे पर सरकार को वैतरणी पार कराने में  भी रात्रिभोज रूपी धेनु ने ही मदद किया। आज एक बार फिर रात्रिभोज की जीत हुई। काश! गरीबों की स्थिति सुधारने के लिए भी रात्रिभोज के आयोजन किये जाते, जैसे मुट्ठी भर धनाढ्यों के...