क्यूँ?


दिल आज भी उसे याद करता क्यूँ है, मिलने की सौ फ़रियाद करता क्यूँ है।
वो अज़ीज़ जो क़त्ल कर गया प्यार का, उस कातिल का इंतज़ार करता क्यूँ है।।
जब भी भूलना चाहूँ अज़ीयत ए दास्ताँ, उस बेवफा का एहसास करता क्यूँ है।
जो रचा गया प्यार के खूं से मेहन्दी 'दीप', उसके लौटने की चाह रखता क्यूँ है।।
नाकाम ए आरज़ू भी मना सकी न जिसे, उसके दर्द से अब तक रिश्ता क्यूँ है।
जो खुश है दुनिया में मुझको भुलाकर, दिल उसके एहसास से धड़कता क्यूँ है।।

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  1. दिनांक 23/12/2012 को आपकी यह बेहतरीन पोस्ट http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जा रही हैं.आपकी प्रतिक्रिया का स्वागत है .
    धन्यवाद!

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