रात्रिभोज
रात्रिभोज की परंपरा हमारे देश में सदियों से रही है। जब भी कोई मांगलिक आयोजन होता है , रात्रिभोज पर सगे सम्बन्धियों को आमंत्रित किया जाता है। रात्रिभोज कई बार तो सिर्फ जनसंपर्क बढ़ाने के लिए ही रखा जाता है। यह आस पास के लोगों से मेल जोल बढ़ाने का ब्रह्मास्त्र है।विगत कुछ वर्षों में राजनितिक पार्टियों के लिए रात्रिभोज हर समस्या का समाधान प्रस्तुत करने वाला जादुई चिराग साबित हुआ है। विपक्ष सत्तापक्ष से सहमत न हो रहा हो , पुराने मित्रों से गिले शिकवे दूर करने हो या फिर निर्दल जीते हुए प्रत्याशियों को चारा डालना हो, रात्रिभोज का आयोजन रामबाण का काम करता है। विगत कुछ दिनों में सत्तापक्ष ने रात्रिभोज आयोजित करने का नया रिकार्ड बनाया है। इनमे से ज्यादा रात्रिभोज सरकार को बचाने के लिए या ऍम फैक्टर को अपने पक्ष में करने के लिए रखे गये। आज संसद में एफ डी आई के मुद्दे पर सरकार को वैतरणी पार कराने में भी रात्रिभोज रूपी धेनु ने ही मदद किया। आज एक बार फिर रात्रिभोज की जीत हुई। काश! गरीबों की स्थिति सुधारने के लिए भी रात्रिभोज के आयोजन किये जाते, जैसे मुट्ठी भर धनाढ्यों के हितों की रक्षा के लिए बार बार आयोजित किये गये तो हमारा भारत विकसित देशों के जमात में शामिल होता।
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