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दिसंबर, 2011 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

नशा

अपनों में बेगाना बना देती है नशा , लुटा हुआ खजाना बना देती है नशा । लगती है प्यारी जन्नत से ज्यादा , इस कदर दीवाना बना देती है नशा । पीकर शराब गांजा ईठलाते है हम , सुख व् चैन अपना खो जाते है हम । बोकर कांटे ज़िन्दगी की राह में , खुद की खुशियों को खुद ही लुटाते हैं हम । पैदा करती मुश्किलें राह में अनगिनत , समझते हैं दोस्त जब इसको हम । तोड़ देती परिवार पल में दोस्तों , जिसके लिए सबको भूल जाते हैं हम । खुद की नजरों में खुद को गिरा देती नशा , हँसता परिवार उजाड़ देती है नशा । खुद की नजरों में गिरकर जो कोई अगर , दीप जन्नत भी पाए तो है वो सजा । खांसी दमा व् कैंसर क्या इसके लिए , हर ख़ुशी ही दुश्मन है जिसके लिए । छीन लेती जो खुशियाँ पल में ही सारी , क्या देगी ख़ुशी ज़िन्दगी के लिए । जहां को दुश्मन बना देती नशा , इन्सान का वजूद मिटा देती नशा । संजाकर सेंज पाप के फूलों से यारों , मौत की नींद सुला देती नशा ।

जादू की छड़ी

बचपन में नानी से सुनी कहानियों में अक्सर जादू की छड़ी का जिक्र हुआ करता था । नानी बड़े प्यार से परियों के बारे में बताती और उनके छड़ियों की शक्ति के बारे में बताते हुए बुराई पर अच्छाई की जीत में उनकी महत्ता को रेखांकित करती । बचपन से ही बालमन में मेरे यह बात बैठ गयी थी की मुश्किल से मुश्किल काम भी जादू की छड़ी घुमाते ही पलक झपकते हो जाता है । जैसे- जैसे बड़ा हुआ , मुझे यह एहसास होने लगा की छोटा से छोटा काम भी बिना मेहनत किये नहीं होता । लेकिन aajमुझे यह सुनकर आश्चर्य हुआ की प्रधानमंत्री, वित्तमंत्री और कृषिमंत्री जादू की छड़ी का इंतज़ार कर रहे हैं । प्रधानमंत्री जी कहते हैं की उनके पास भ्रष्टाचार समाप्त करने के लिए जादू की छड़ी नहीं है । जब भी देश की अवाम अपनी मुखिया के मुंह से ये शब्द सुनती है तो भ्रष्टाचार की आग में जल रही अवाम का दर्द और बढ़ जाता है । उसे विश्वास नहीं होता है की जिस व्यक्ति के २४२ करोड़ हाथ हैं वह इतना कमजोर कैसे हो सकता है । भ्रष्टाचार की आग में कुछ लालची नेता , चोर अफसर और तथाकथित समाज के ठेकेदार अपनी- आपनी रोंटियाँ सेक रहे हैं और निरीह जनता इस इंतज़ार में बैठी...

दाग अच्छे हैं

ज़िन्दगी एक सफ़ेद चादर के सामान है जिसमे दाग लगना सामाजिक प्रतिष्ठा पर बट्टा लगना माना जाता है । एक बार दाग लग जाने पर कोई भी सर्फ़ एक्स्सल मिटा नहीं सकता । यह दाग व्यक्ति के ज़िन्दगी के साथ भी और जिंदगी के बाद भी बनी रहती है । इंसान हो या देवता , एक बार दाग लगा नहीं वह अछूत की श्रेणी में आ जाता है और ताउम्र उस दाग को मिटाने का प्रयास करता है । बेचारे चाँद को ही लीजिये , वह आज तक अपने ऊपर लगे दाग को नहीं छुड़ा पाया । प्राचीन काल में जब किसी व्यक्ति के ऊपर दाग लग जाता था तो उसके पास पश्चाताप की अग्नि का सहारा होता था या फिर वह दाग छुपाने के लिए जंगल की राह पकड़ लेता था । दाग लग जाने के बाद समाज में मुह दिखाना प्रतिबंधित था । पर आज दाग लगना अच्छा है । खासकर राजनीती में , जिसके दामन पर दाग नहीं वह अच्छा और बड़ा नेता नहीं माना जाता । दाग लगने पर न सिर्फ शोहरत मिलती है बल्कि सत्ता सुख हासिल होने की संभावना भी प्रबल हो जाती है । इसके...

फरेब

कभी वक़्त तो कभी हालात ने फरेब किया जिसको ज़िन्दगी मन उसके साथ ने फरेब किया दुनिया को दिखाने के लिए वो दर्द पी गए मेरा दिल के साथ तो उनके ज़ज्बात ने फरेब किया ..... रोशनी की कमी न थी ज़िन्दगी में यारों ज़िन्दगी ऐ सफ़र में तो चादनी रात ने फरेब किया मोहब्बत थी उनकी या फरेबी अदा थी ' दीप ' दिलकश मुस्कुराहटों के साथ हर बात ने फरेब किया मिलकर भी बयां कर न पाए कुछ अल्फाज़ मुझसे तो उनकी हर मुलाकात ने फरेब किया वो तो खुश है सनम अपनी दुनिया बसाकर मेरी खुशियों के साथ उनके सौगात ने फरेब किया