फरेब

कभी वक़्त तो कभी हालात ने फरेब किया
जिसको ज़िन्दगी मन उसके साथ ने फरेब किया
दुनिया को दिखाने के लिए वो दर्द पी गए मेरा
दिल के साथ तो उनके ज़ज्बात ने फरेब किया .....
रोशनी की कमी थी ज़िन्दगी में यारों
ज़िन्दगी सफ़र में तो चादनी रात ने फरेब किया
मोहब्बत थी उनकी या फरेबी अदा थी 'दीप'
दिलकश मुस्कुराहटों के साथ हर बात ने फरेब किया
मिलकर भी बयां कर पाए कुछ अल्फाज़
मुझसे तो उनकी हर मुलाकात ने फरेब किया
वो तो खुश है सनम अपनी दुनिया बसाकर
मेरी खुशियों के साथ उनके सौगात ने फरेब किया

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