दाग अच्छे हैं

ज़िन्दगी एक सफ़ेद चादर के सामान है जिसमे दाग लगना सामाजिक प्रतिष्ठा पर बट्टा लगना माना जाता हैएक बार दाग लग जाने पर कोई भी सर्फ़ एक्स्सल मिटा नहीं सकतायह दाग व्यक्ति के ज़िन्दगी के साथ भी और जिंदगी के बाद भी बनी रहती हैइंसान हो या देवता , एक बार दाग लगा नहीं वह अछूत की श्रेणी में जाता है और ताउम्र उस दाग को मिटाने का प्रयास करता हैबेचारे चाँद को ही लीजिये , वह आज तक अपने ऊपर लगे दाग को नहीं छुड़ा पायाप्राचीन काल में जब किसी व्यक्ति के ऊपर दाग लग जाता था तो उसके पास पश्चाताप की अग्नि का सहारा होता था या फिर वह दाग छुपाने के लिए जंगल की राह पकड़ लेता थादाग लग जाने के बाद समाज में मुह दिखाना प्रतिबंधित थापर आज दाग लगना अच्छा हैखासकर राजनीती में , जिसके दामन पर दाग नहीं वह अच्छा और बड़ा नेता नहीं माना जातादाग लगने पर सिर्फ शोहरत मिलती है बल्कि सत्तासुख हासिल होने की संभावना भी प्रबल हो जाती हैइसके लिए नेतागण सिर्फ एक दुसरे पर खूब कीचड़ उछालते हैं बल्कि कीचड़ की वैतरणी में गोता लगाना अपना सौभाग्य समझते हैकई माननीय तो अपने साथ कीचड़ की पोटली साथ लिए फिरते हैं जब भी जरुरत पड़ती है विपक्षी पर उड़ेल देते हैंचुनाव के समय तो ये माननीय अपने असिस्टेंट भी रख लेते है जिससे प्रचुर मात्रा में विपक्षियों पर कीचड़ उड़ेल सकेदाग लगने पर इन्हें शर्म नहीं आती है बल्कि इन्हें अपने ऊपर गर्व होता हैदाग मिटाने के ये प्रयास नहीं करते , क्योंकि इन्हें पता है की दाग अच्छे हैं

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