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जो फिट है वो हिट है

                                                        कहते हैं कि जो फिट है वही हिट है । यह कहावत जिन्दगी के हर क्षेत्र में सौ फीसदी सच साबित होती है । बात चाहे परिवार की हो या समाज की या फिर बात कल या आज की हो, फिट व्यक्ति ही हर जगह हिट रहता है । आखिर डार्विन सर ने भी तो कहा था कि इस धरती पर वही व्यक्ति टिका रह सकता है जो इसके वातावरण के लिए फिट हो । समय बदला परन्तु डार्विन सर का यह सिद्धान्त नहीं बदला । सालों बीत जाने के बाद भी यह सिद्धान्त बहुतों के लिए आदर्श सिद्धान्त है । और बात अगर राजनीतिक पिच की हो तो फिटनेस की महत्ता और भी बढ़ जाती है । हाँ यहाँ फिटनेस की परिभाषा थोड़ी अलग है । यहाँ शारीरिक और मानसिक फिटनेस के बजाय राजनीतिक फिटनेस की जरुरत होती है । अब आप कहेंगे कि राजनीतिक फिटनेस किस बला का नाम है ? कुछ मित्रो...

हम उम्मीद करते हैं

उम्मीद इन्सान को जीना सिखाती है, परेशानियों से लड़ना सिखाती है । जब भी हम असफलताओं से लड़कर कमजोर हो जाते हैं, उम्मीद सफल होने का विश्वास दिलाती है । परन्तु जब भी हम कुछ ज्यादा की उम्मीद कर लेते हैं, यह उम्मीद हमारे सपने तोड़ जाती है । हम भारतीयों के लिए उम्मीद सबसे बड़ी चीज है जिसका दामन   हम कब्र में पैर होने के बावजूद भी नहीं छोड़ना चाहते हैं । हम जितनी उम्मीद खुद से करते हैं उससे कई गुना ज्यादा उम्मीद दूसरों से करते हैं । अध्यापक उम्मीद करता है कि छात्र इस बार पेपर अच्छा करें तो छात्र उम्मीद करता है कि अध्यापक उसे अच्छे नम्बरों से पास कर दे । किसान उम्मीद करता है कि बारिश अच्छी हो जिससे साहूकार का कर्ज चुका सके तो साहूकार उम्मीद करता है बारिश न हो जिससे उसका फायदा हो । रोगी उम्मीद करता है कि वह जल्द से जल्द ठीक हो जाय तो डॉक्टर उम्मीद करता है कि उसके यहाँ मरीजों की संख्या बढ़ती रहे । जनता उम्मीद करती है कि आने वाली सरकार अच्छी हो तो नेता उम्मीद करते हैं उनका चुनाव खर्च की भरपाई जल्द से जल्द हो जाय और वो अपनी आने वाली पीढ़ियों के लिए भी वो पैसा कमाकर रख ले । यह उम्मीद ही वो बला है...

हमारी सरकार तो आने दो

राजीव चौक पर कल एक पुराने कांग्रेसी नेताजी से मुलाकात हो गयी । नेताजी अपनी सरकार में एक कद्दावर मंत्री हुआ करते थे । सरकार जाने के बाद मंत्री जी के काफ़िले से सारे सिपहसलार गायब हो गये थे । बेचारे ! पालिका बाज़ार के पास खड़े होकर शायद किसी सपने में खोये हुए थे तभी मेरी नज़र उनपर पड़ गयी । इतने बड़े नेता को ऐसे अकेले देखकर मुझसे रहा नहीं गया और मैं उनके पास चला गया । दुआ- सलाम के बाद जब मैंने उनसे ऐसे अकेले खड़े होने का कारण पूछा तो नेताजी विफर पड़े । आग बबूला होते हुए उन्होंने सत्ताधारी भाजपा की सरकार को गाली देना शुरू किया । नेताजी का कहना था कि हमारी सरकार तो आने दीजिये, एक एक भाजपा नेता की ख़बर न लिया तो मैं भी पक्का कांग्रेसी नहीं । प्रधानमंत्री जी ने भारत के लोगों को बेवकूफ बना रखा है । वो देश के गरीबों का पैसा अपने अमीर मित्रों को बाँट रहे । युवाओं से पकोड़े तलने को कह अपने विदेशों का चक्कर लगा रहे । नोटबंदी से सिर्फ उनके मित्रों का फायदा हुआ है, आम जनता आज भी नोटबंदी के दंश से कराह रही है । कहाँ तो दो करोड़ लोगों को हर साल नौकरी देने वाले थे, उल्टा लाखों लोगों की नौकरी खाने में लगे हुए ...

जरुरी तो नहीं

हर गज़ल का उनवां हो जरुरी तो नहीं,  हर मुसाफिर संग कारवां हो जरुरी तो नहीं उम्र निकल जाती है रेत में चलते हुए,  ज़िन्दगी ए सफ़र में छाँव हो जरुरी तो नहीं कुछ सपने टुटेंगे कुछ साकार होंगे,  अप्रत्याशित असफलता से आप दो -चार होंगे राह- ए- मंज़िल में थक रहे तो सोचिए जरा,  हर शख़्स का पाँव हो जरुरी तो नहीं उम्मीदों के आँगन में होता है सवेरा जरूर,  छँटता ज़िन्दगी का 'दीप' अँधेरा जरूर होगी किस्मत में तो मिलेगी खुशियाँ , किस्मत भी मेहरबां हो जरुरी तो नहीं चंद सिक्कों की खातिर भटक रहे दर बदर , छोड़ आये हैं गाँव का बूढ़ा सा घर बन रहे रिश्ते सिर्फ बाजार के तो रुकिए जरा,  दिल का जुड़ाव हो जरुरी तो नहीं चाह नहीं रखना सिर्फ चाँद सितारों की , खुशियाँ मोहताज नहीं सोने के दीवारों की झोपड़ी में भी हो जाती है ज़िन्दगी बसर, सबके पास पक्का मकां हो जरुरी तो नहीं