हमारी सरकार तो आने दो
राजीव चौक पर कल एक पुराने कांग्रेसी नेताजी से मुलाकात हो गयी । नेताजी अपनी सरकार में
एक कद्दावर मंत्री हुआ करते थे । सरकार जाने के बाद मंत्री जी के काफ़िले से सारे
सिपहसलार गायब हो गये थे । बेचारे ! पालिका बाज़ार के पास खड़े होकर शायद किसी सपने
में खोये हुए थे तभी मेरी नज़र उनपर पड़ गयी । इतने बड़े नेता को ऐसे अकेले देखकर
मुझसे रहा नहीं गया और मैं उनके पास चला गया । दुआ- सलाम के बाद जब मैंने उनसे ऐसे
अकेले खड़े होने का कारण पूछा तो नेताजी विफर पड़े । आग बबूला होते हुए उन्होंने
सत्ताधारी भाजपा की सरकार को गाली देना शुरू किया । नेताजी का कहना था कि हमारी
सरकार तो आने दीजिये, एक एक भाजपा नेता की ख़बर न लिया तो मैं भी पक्का कांग्रेसी
नहीं । प्रधानमंत्री जी ने भारत के लोगों को बेवकूफ बना रखा है । वो देश के गरीबों
का पैसा अपने अमीर मित्रों को बाँट रहे । युवाओं से पकोड़े तलने को कह अपने विदेशों
का चक्कर लगा रहे । नोटबंदी से सिर्फ उनके मित्रों का फायदा हुआ है, आम जनता आज भी
नोटबंदी के दंश से कराह रही है । कहाँ तो दो करोड़ लोगों को हर साल नौकरी देने वाले
थे, उल्टा लाखों लोगों की नौकरी खाने में लगे हुए हैं । शाह महोदय ने चुनाव से
पहले जो १५ लाख देने का वादा किया था, वो सिर्फ जुमला निकला । कुछ पूजीपतियों को
छोड़ दिया जाय तो सबकी आय कम हुई है । गरीब को खाने के लाले पड़े हैं और शाह जी के
बेटे को कुबेर का खजाना मिल गया है । आप ही बताइये शाह के बेटे को कौन सा अलादीन
का चिराग मिल गया है जिससे ४ सालों में वो अरबपति बन गये, नेताजी की बात का शायद
मेरे पास कोई उत्तर नहीं था । उन्होंने आगे बोलना जारी रखा, हमारी सरकार आने
दीजिये, देश के एक-एक पाई का हिसाब देना होगा उन्हें... और मैं वहाँ से निकलना ही
उचित समझा ।
अभी कुछ साल पहले की ही बात है,
भाजपा नेताओं के बोल भी कुछ ऐसे ही थे । मसलन हमारी सरकार तो आने दीजिए, वाड्रा
साहब को जेल भेजकर ही दम लेंगे । सभी घोटालेबाज जेल की सलाखों के पीछे होंगे ।
किसी को भी बख्शा नहीं जायेगा । मोदी जी ने तो यहाँ तक कह दिया था कि देश का सारा
पैसा जो विदेशों में काला धन के रूप में जमा है उसे वह वापस लाकर रहेंगे ।
बेरोजगार युवाओं को वो नौकरी दिलाने का भी आश्वासन दिए थे, अब अलग बात है कि उनकी
पार्टी के कुछ बड़े नेता उन युवाओं से पकोड़े और पान की दुकान खोलने को कह रहे ।
उन्होंने जिस विश्वास के साथ अच्छे दिन लाने का वादा किया था, आम जनता को लगा था
कि उनकी अपनी सरकार आ रही है । विपक्ष में रहते हुए भाजपा ने गंगा को साफ करने का
सौगंध लिया था जो कई हजार करोड़ रूपये खर्च करने के बाद भी दिवास्वप्न सा ही लगता है
। उमा भारती जी ने तो २०१८ से पहले गंगा न साफ होने पर राजनीति से संन्यास लेने की
सौगंध ली थी, उनका कहना था कि हमारी सरकार आयी तो गंगा को हम प्रदूषण मुक्त करके
रहेंगे । आजकल भारती जी से पूछने पर गड़करी जी से बात करने की सलाह देती हैं । बड़े
नेता हैं लोग, अब इतनी छोटी बात कौन याद रखता है? कहकर भूल गये होंगे, उन्हें और
भी ढेर सारे काम करने हैं । सर्वेक्षण कराने हैं, समस्या का पता लगाना है और इसमें
५ साल तो कम पड़ेंगे ही ।
कुछ साल पहले ही केजरीवाल साहब ने
जनता को आम आदमी की सरकार देने का वादा किया था । लोगों ने विश्वास कर लिया था कि
आम आदमी पार्टी की सरकार उनकी अपनी सरकार होगी । लेकिन सत्ता में आते ही केजरीवाल
साहब लगभग हर उस वादे से मुकर गये जो उन्होंने सत्ता से बाहर रहकर किया था । सत्ता
हासिल होते ही आम आदमी की सरकार खास आदमी की सरकार बन गयी । अब बसपा के
कार्यकर्ताओं को ही लें, बेचारे बहन जी को सत्ता की चाबी देकर सपा को सबक सिखाना
चाहते थे । उनका हर कार्यकर्ता बड़े घमण्ड के साथ कहता था कि सपा राज्य में दलितों
का जो उत्पीड़न किया जा रहा, हमारी सरकार आने दीजिये । बहन जी सपा की ईंट से ईंट
बजा देंगी । उन्हें शायद पता नहीं था कि आगे चलकर उन्हें उस साम्राज्य की ईंट बनना
होगा जिसे वो तोड़ने का सपना पाले हुए थे । यही नहीं सरकार में आने से पहले ममता जी
ने गरीबों के हक की लड़ाई लड़ने का वादा किया था और आज कुछ मंत्रियों की सफ़ेद कमीज
बचाने के लिए गरीबों का खून बहा रहीं हैं । आज उन्हें इस बात से फर्क नहीं पड़ता कि
बंगाल की बड़ी संख्या में जनता भूखमरी का दंश झेलने को मजबूर है और वो अपनी
राजनीतिक रोटियां सेंकने में मशगूल । उनके पुराने वादे वामदलों के वादों की तरह ही
खोखले निकले हैं और वहाँ भी कुछ नये लोग हमारी सरकार आने दो, के सपने दिखाने में
लग चुके हैं । भारत में बहुत सी ऐसी पार्टी हैं जो चुनाव हारने के बाद सत्तारूढ़ दल
का हिस्सा बन जाती हैं और मतदाता अंत तक समझ नहीं पाता कि जिन मूल्यों पर उसने
मतदान किया उसका हनन किसने किया । जबकि कुछ राजनेता ऐसे हैं जिनकी सरकार हमेशा
रहती है या यूँ कह लें कि ये हमेशा ही सरकार में मलाई के मजे ले रहे होते हैं ।
हमारी सरकार तो आने दो, इस देश से
गरीबी को ऐसे गायब कर देंगे जैसे गधे के सर से सिंग । ये अलग बात है कि सरकार आने
के बाद नेताजी ठीक ऐसे ही गायब हो जाते हैं । अगली बार सत्ता में हमारी सरकार आई
तो हम इस देश को स्वर्ग बना देंगे । आखिर ! वर्तमान सरकार तो स्वजनों के हितों के
लिए तो बनी है परन्तु आप विश्वास कीजिए अगली बार हम सत्ता में आते ही आपका कल्याण
करेंगे । अफ़सोस ये अगली बार कभी नहीं आता है । गलती से यदि जनता ने उनका वादा याद
दिला दिया तो पिछली सरकार के गड्ढे गिनाने में लग जाते हैं । बात चाहे किसी भी
पार्टी की रही हो, जनता की सरकार नहीं बन पाई है । ७० साल बीत जाने के बाद भी आजाद हिन्दुस्तान ने
जनता की, जनता के लिए और जनता द्वारा चलाई जाने वाली सरकार नहीं देखा । फिर भी हर
कार्यकर्ता इस उम्मीद में रहता है कि हमारी सरकार आते ही सबकुछ ठीक हो जायेगा ।
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