जरुरी तो नहीं

हर गज़ल का उनवां हो जरुरी तो नहीं,  हर मुसाफिर संग कारवां हो जरुरी तो नहीं
उम्र निकल जाती है रेत में चलते हुए,  ज़िन्दगी ए सफ़र में छाँव हो जरुरी तो नहीं
कुछ सपने टुटेंगे कुछ साकार होंगे,  अप्रत्याशित असफलता से आप दो -चार होंगे
राह- ए- मंज़िल में थक रहे तो सोचिए जरा,  हर शख़्स का पाँव हो जरुरी तो नहीं
उम्मीदों के आँगन में होता है सवेरा जरूर,  छँटता ज़िन्दगी का 'दीप' अँधेरा जरूर
होगी किस्मत में तो मिलेगी खुशियाँ , किस्मत भी मेहरबां हो जरुरी तो नहीं
चंद सिक्कों की खातिर भटक रहे दर बदर , छोड़ आये हैं गाँव का बूढ़ा सा घर
बन रहे रिश्ते सिर्फ बाजार के तो रुकिए जरा,  दिल का जुड़ाव हो जरुरी तो नहीं
चाह नहीं रखना सिर्फ चाँद सितारों की , खुशियाँ मोहताज नहीं सोने के दीवारों की
झोपड़ी में भी हो जाती है ज़िन्दगी बसर, सबके पास पक्का मकां हो जरुरी तो नहीं


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