गुरू
सूरज की तपिश
चाँद की छाया है गुरू, ईश्वर को भी सही राह दिखाया है गुरू |
गुरू ही
सिखाता हर मुश्किल से लड़ना, ईश्वर का रूप ईश्वर की काया है गुरू ||
कभी
विश्वामित्र कभी परशुराम है गुरू, कभी राधाकृष्णन कभी कलाम है गुरू |
दधिची सा
त्याग गुरू ही कर सकता, शिष्य के लिए ईश्वर का वरदान है गुरू ||
असम्भव को
सम्भव बना देता है गुरू, जीवन को उत्सव
बना देता है गुरू |
मिल गया गुरू
जो अबोध कबीर को, जीवन का सार समझा देता
है गुरू ||
सागर सा ज्ञान
का भण्डार है गुरू, भविष्य निर्माता व सृजन-संसार
है गुरू |
तय कराता
अँधेरे से प्रकाश का सफ़र, शिष्य के जीवन का खेवनहार है गुरू ||
भूत के रहस्य
से पर्दा उठाता है गुरू, वर्तमान का मार्ग सुगम बनाता है गुरू |
समझाकर जीवन मूल्य
‘दीप’, सहस्रतार्ची बन भविष्य की राह दिखाता है गुरू ||
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