जनसंख्या की रफ़्तार थमे, तो बात बने
भारत एक
विकासशील देश है, एवं विकसित राष्ट्र के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए निरन्तर
प्रयासरत है परन्तु तेजी से बढ़ रही जनसंख्या भारत के इस लक्ष्य को निरन्तर दूर
करते हुए दिखलाई देती है | हमारा देश जनसंख्या की दृष्टि से विश्व में दूसरे स्थान
पर है, और पिछले कुछ वर्षों में जनसँख्या बृद्धि की जो दर रही है, जल्द ही
सर्वाधिक जनसंख्या वाले देश चीन को पीछे छोड़ देने की सम्भावना है | वर्तमान समय
में देश के समक्ष उपस्थित अनेकों चुनौतियों के पीछे हम किसी न किसी रूप में
जनसंख्या बृद्धि को कारक के रूप में देख सकते हैं | संसाधनों की उपलब्धता सुनिश्चित
करना हो अथवा रोटी, कपड़ा एवं मकान की व्यवस्था करनी हो, सुरसा की तरह मुँह फैलाती
जनसंख्या के समक्ष यह ऊँट के मुँह में जीरा प्रतीत होता है | बढ़ती जनसंख्या न
सिर्फ भारतीय अर्थव्यवस्था को चोट पहुँचा रही है अपितु सरकार द्वारा रोजगार प्रदान
करने की राह में प्रमुख रोड़े के रूप में भी दिख रही है | उदाहरण स्वरुप सरकार जब
तक १ करोड़ रोजगार सृजित करती है, जनसंख्या दोगुनी अथवा चौगुनी बढ़ जाती है, इससे
समस्या निरन्तर बढ़ती ही जा रही है | तेजी से बढ़ रही जनसंख्या कई प्रकार के
सामाजिक, राजनीतिक एवं आर्थिक परिवर्तन का कारक भी है जिसके भविष्य में गम्भीर
परिणाम हो सकते हैं |
विश्व के
क्षेत्रफल का मात्र २.४ प्रतिशत भूभाग वाला भारत, विश्व के हर छठें व्यक्ति का
प्रतिनिधित्व करता है जिसकी वजह से भारत में जनसंख्या घनत्व भी लगभग ३८२ व्यक्ति
प्रति वर्ग किलोमीटर को पार कर चुका है | प्रतिवर्ष हमारी जनसंख्या में
आस्ट्रेलिया की जनसंख्या जुड़ जाती है जबकि क्षेत्रफल में कोई बदलाव नहीं होता | विश्व
क्षेत्रफल का ५४८ वां भाग होने के बावजूद उत्तर प्रदेश की जनसंख्या चीन, संयुक्त
राज्य अमेरिका, इण्डोनेशिया, एवं ब्राजील से ही पीछे है जिसकी वजह से भारत का यह
प्रमुख राज्य पिछड़े राज्य की परिधि से नहीं निकल पा रहा है | बढ़ती जनसंख्या ने
अपराध दर को बढ़ाने में भी मदद किया है क्योंकि जनसंख्या के अनुपात में पुलिस एवं
न्यायालयों की संख्या भी अत्यन्त कम है | बढ़ती जनसंख्या के सापेक्ष शिक्षा एवं
स्वास्थ्य व्यवस्था सुनिश्चित करना भी सरकार के लिए एक चुनौतीपूर्ण कार्य है |
सरकार जब तक कुछ नए शैक्षणिक संस्थान खोलती है, जनसंख्या कई गुना बढ़ चुकी होती है
| यही हाल अस्पताल एवं स्वास्थ्य सेवाओं का भी है, जनसंख्या के अनुपात में अस्पताल
एवं डॉक्टरों की संख्या बहुत ही कम है जो सरकार के लिए निरन्तर सिरदर्द बना हुआ है
| शिक्षा एवं स्वास्थ्य सम्बन्धित बुनियादी सुविधाओं के अभाव के कारण जनसंख्या
बृद्धि के दर में कमी के तमाम प्रयत्न निर्धारित लक्ष्य नहीं दिला सके हैं | ‘हम
दो, हमारे दो’ का नारा सीमित परिवारों को ही प्रभावित कर सका है | गरीब एवं
अशिक्षित वर्ग द्वारा ‘बड़े परिवार’ को एक पूँजी के रूप में देखा जाना, देश पर
आर्थिक दबाव बढ़ा रहा है, जबकि धार्मिक स्तर पर बढ़ती हुई जनसंख्या भौगोलिक चुनौती
प्रस्तुत कर रही है | बड़े शहरों पर जनसंख्या का दबाव तेजी से बढ़ रहा है जिससे
शहरों के पास मौजूद वन क्षेत्र सिकुड़ते जा रहे हैं | जनसंख्या बृद्धि की वजह से कई
प्रकार के पर्यावरणीय संकट भी उत्पन्न हुए हैं जिनमें नदियों के अन्दर घरेलू कचरे
का बढ़ना, सभी को शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने की राह अवरुद्ध कर रहा है | बढ़ती
जनसंख्या की वजह से अन्न की उपलब्धता सुनिश्चित करना भी कठिन हो रहा है |
निःसंदेह एक बड़ी
जनसंख्या किसी भी देश के विकास को रफ़्तार देने में सक्षम है परन्तु यह चीन जैसे
विकसित देश जो कि क्षेत्रफल की दृष्टि से भी काफी बड़ा है, के लिए तो सही है परन्तु
भारत के लिए यह विकास की राह में रोड़ा ही साबित हो रही | आजादी के बाद से भारत की
जनसंख्या में १०० करोड़ से अधिक की बृद्धि हो चुकी है परन्तु बुनियादी संसाधनों में
बृद्धि दर बेहद धीमी रही है | कोरोना-परिस्थिति के बीच स्वास्थ्य चुनौतियों का भी
सामना करना पड़ा जिसके मूल में जनसंख्या अनुपात एवं स्वास्थ्य सुविधाओं में बड़ा
अन्तर स्पष्ट रूप से नजर आया | यही नहीं इस दौरान सरकार द्वारा एक बड़ी जनसंख्या को
खाद्य सामग्री उपलब्ध कराने के लिए सरकारी खजाने को खाली करना पड़ा जिसकी वजह से
महंगाई पर असर पड़ा | जनसंख्या एवं महंगाई बृद्धि में प्रत्यक्ष सम्बन्ध है अर्थात
बढ़ती जनसंख्या देश में बढ़ती हुई महंगाई की प्रमुख कारक है | जनसंख्या बृद्धि एवं
उपलब्ध संसाधनों में अनुपातिक बृद्धि न होने की वजह से देश अक्सर ही संसाधनों की
कमी का सामना करता है जिसकी पूर्ति के लिए सरकार को सम्बन्धित वस्तुओं का दूसरे
देश से आयात करना पड़ता है |
किसी भी
राष्ट्र के समग्र विकास के लिए आवश्यक है कि उस राष्ट्र के विकास में वहाँ की
समग्र जनसंख्या सहभागी बनें | यह तभी सम्भव है जब सभी को समान अवसर उपलब्ध हों | सरकार
के समक्ष, गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करने वाली जनसंख्या को विकास प्रक्रिया
में सहभागी बनाने की गम्भीर चुनौती है | चूँकि, विकास एक बहुआयामी प्रक्रिया है
जिसे समग्र सहभागिता द्वारा ही प्राप्त किया जा सकता है | यह सहभागिता तभी सम्भव
है जब हम तेज गति से बढ़ रही जनसंख्या को जल्द से जल्द रोकने के लिए ठोस उपाय करें
| बढ़ती जनसंख्या पर नियंत्रण अत्यन्त आवश्यक है जिससे भारतीय जनमानस के रोटी,
कपड़ा, एवं मकान की बुनियादी आवश्यकता को सुनिश्चित किया जा सके | सरकार को
अतिशीघ्र जनसंख्या नियंत्रण सम्बन्धित कानून बनाना चाहिए क्योंकि इस सन्दर्भ में सरकार
की देरी जनता पर भारी पड़ती हुई दिख रही है | विविध राजनैतिक दलों से जुड़े
राजनेताओं एवं धार्मिक प्रतिनिधित्व करने वाले धर्मगुरुओं को आगे बढ़कर जनसंख्या
नियंत्रण कानून की माँग करनी चाहिए जिससे यह कानून संसद के आगामी सत्र में ही पास
हो सके | आवश्यकता इस बात की है कि सभी राजनैतिक दल जनसंख्या बृद्धि को धर्म एवं
जाति के चश्मे से न देखकर जनसंख्या कानून को पारित करने में सरकार की मदद करें
जिससे जनसंख्या विस्फोट को रोका जा सके | आज ‘जातिय जनगणना’ से अधिक महत्वपूर्ण है
जनसंख्या बृद्धि के रथ को रोकने वाला कानून, जिससे विकास के रथ को गति मिल सके |
👌👌👍👍
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छा लेख सर। बहुत बहुत बधाई
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