युवाओं में सृजनात्मक ऊर्जा का संचार जरूरी

 

भारत विश्व में सर्वाधिक युवा जनसंख्या वाला देश है | एक तरफ तो यह संख्या विश्व को हमारी ताकत से परिचित कराती है तो वहीं दूसरी तरफ हमें भविष्य के लिए सचेत भी करती है | युवाओं की गतिशीलता एवं क्रियाशीलता को दिशा देने के लिए उनमें सृजनात्मक ऊर्जा का संचार नितांत आवश्यक है जिससे नये भारत के निर्माण में उनकी प्रभावी भूमिका सुनिश्चित की जा सके | आज पूरा विश्व भारत के युवाओं के ज्ञान एवं कौशल की सराहना कर रहा है तो वहीं विश्व बाजार की तमाम बड़ी कम्पनियां उन्हें महत्वपूर्ण पदों पर नियुक्त कर रही हैं | ऐसे में भारतीय युवा शक्ति का सदुपयोग भारत के साथ-साथ वैश्विक समृद्धि के लिए भी आवश्यक हो जाता है | प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी इस बात से भली-भांति परिचित हैं और उनका मानना है कि आज भारत के पास सक्षम युवाओं की एक बड़ी तादाद है | हमारे युवाओं के पास स्किल्स भी है, वैल्यूज भी है, और काम करने के लिए जरुरी जज्बा और ईमानदारी भी है | भारत की ये स्किल कैपिटल दुनिया के विकास का इंजन बन सकती है | निश्चित तौर पर प्रधानमंत्री जी का यह कथन हमें गर्व की अनुभूति कराता है, साथ ही सशक्त एवं समृद्ध हो रहे भारत की तरफ इशारा भी करता है |

किसी भी देश की जनसंख्या में युवा भागीदारी सबसे महत्वपूर्ण होती है | सर्वाधिक युवा आबादी वाला हमारा देश वैश्विक महाशक्ति बनने की ओर अग्रसर है | परन्तु युवाओं की ऊर्जा का सही एवं सकारात्मक उपयोग करने के लिए हमें कुछ आन्तरिक चुनौतियों से पार पाना जरुरी है | २१वीं सदी के भारत में युवाओं को कुण्ठा एवं संत्रास से बचाना भी आवश्यक है जिसमें युवाओं के लिए प्रेरणास्रोत विवेकानन्द जी के प्रेरक सन्देश महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं | स्वामी विवेकानन्द की शिक्षा आज भी करोड़ों युवाओं का मार्गदर्शन करती है, साथ ही उनके अन्दर राष्ट्रबोध, सेवाबोध एवं कर्तव्यबोध का भाव पैदा करती है | मानवीय मूल्यों के प्रति संवेदनशील रहकर ही कोई राष्ट्र वास्तविक रूप से समृद्ध हो सकता है, भारत को यह थाती पूर्वजों से मिली है जो पुरे विश्व को अपना कुटुम्ब मानते थे, जिनके लिए विकास का मतलब समग्र इकाई के लिए अनुकूल वातावरण का निर्माण कर सभी की सहभागिता सुनिश्चित करना था | हमारे वेद-पुराण एवं सभी धार्मिक ग्रन्थ मानवीय मूल्यों को सर्वोपरी बताते हैं, जिनकी आज के वैश्विक परिवेश में महत्त्व और भी बढ़ जाता है | युवा अपने कर्तव्यपथ पर दिग्भ्रमित न हो, इसके लिए आवश्यक है कि युवाओं के अन्दर भारतीय मूल्यों को विकसित करने के लिए उन्हें मूल्यपरक शिक्षा प्रदान की जाये जिससे उनका चरित्र निर्माण किया जा सके, साथ ही उन्हें वैश्विक प्रतिद्वंद्वी बाजार के अनुकूल तैयार किया जा सके | यह तभी संभव है जब भारतीय शिक्षा पद्धति में प्राचीन शिक्षा के आयामों को सम्मिलित करने के साथ ही आधुनिक शिक्षा के आयामों का समावेश किया जायेगा |

वर्षों से भारत का युवा मस्तिष्क अपने ज्ञान एवं कौशल से विश्व को दिशा देता रहा है | बात चाहे धर्म और अध्यात्म की हो या फिर विज्ञान और तकनीकी की, भारतीय दर्शन को विश्व के कोने-कोने तक पहुँचाने में युवाओं ने महत्वपूर्ण योगदान दिया है | स्वामी विवेकानन्द द्वारा वैश्विक मंच पर दिया गया भाषण आज भी सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है | अपनी मातृभूमि को पराधीनता की बेड़ियों से मुक्त कराने के लिए नेताजी सुभाषचंद्र बोस ने युवा शक्ति की ऊर्जा को आजाद हिन्द फ़ौज के रूप में उपयोग किया, तो वहीं भगत सिंह एवं चंद्रशेखर आज़ाद जैसे अनेकों युवा बलिदानी अपनी ऊर्जा को भविष्य के भारत की नींव रखने में लगाकर अमर हो गये | आज़ादी के ७५ वर्ष बाद आज एक बार पुनः भारत को संगठित करने की आवश्यकता है जिससे हम युवाओं की ऊर्जा का सदुपयोग कर सकें | विगत कुछ वर्षों से कुछ नकारात्मक ताकतें भारतीय युवाओं को दिग्भ्रमित करके उनकी ऊर्जा का दुरूपयोग करने का लगातार प्रयास कर रही हैं जिन्हें कुछ राजनीतिक दल एवं राजनेता संरक्षण देते हुए दिखलाई देते हैं | सरकार को ऐसी ताकतों को चिन्हित कर उन्हें कठोर दण्ड देना चाहिए जिससे युवाओं को ऐसे लोगों के मायाजाल से बचाया जा सके | नशे के सौदागरों की नज़र भी भारतीय युवाओं के हित में नहीं है | मादक पदार्थों के व्यापारी युवा धमनियों में लगातार जहर घोलकर उन्हें अवसादग्रस्त बनाने के साथ भारत को कमजोर करने का प्रयास कर रहे हैं | साथ ही देश के कुछ हिस्सों में विदेशी ताकतें युवाओं को देश के खिलाफ भड़काने का षडयंत्र रचकर उनकी ऊर्जा को नकारात्मक कार्यों में लगाने का प्रयास कर रही हैं | ऐसे में भारतीय युवाओं को नकारात्मक शक्तियों से बचाकर उनकी ऊर्जा को देश की समृद्धि में लगाने के लिए चाहिए कि सरकार युवाओं के मन में विश्वास का भाव पैदा करे जिससे किसी भी कीमत पर उन्हें कोई गुमराह न कर सके | निश्चित तौर पर यह भाव युवाओं के भविष्य की बुनियाद मजबूत करके ही विकसित किया जा सकता है जिसे शिक्षा एवं रोजगार के समान अवसर से सशक्त किया जा सकता है |

किसी भी क्रांति का जनक युवा वर्ग ही होता है, जो न सिर्फ क्रांति की दशा एवं दिशा निर्धारित करता है अपितु उसे अपने लक्ष्य तक भी पहुँचाता है | भारतीय युवाओं में प्रतिभा की कमी नहीं है, आवश्यकता है तो उन्हें उपयुक्त अवसर प्रदान करके नये भारत के निर्माण में उनकी सहभागिता सुनिश्चित करने की | आत्मनिर्भर भारत का लक्ष्य युवा आबादी की सक्रिय सहभागिता के बिना प्राप्त नहीं किया जा सकता है | इसके लिए सरकार को योजनाबद्ध तरीके से प्रयास करने होंगे, साथ ही युवाओं की शिक्षा एवं रोजगार का मार्ग प्रशस्त करना होगा | युवाओं के सपनों को पंख लगाकर ही हम सशक्त एवं समृद्ध भारत का सपना साकार कर सकते हैं | भारत में विश्व नेतृत्व की क्षमता है, अनेक वैश्विक मंच पर भारतीय युवाओं ने इसकी झलक भी प्रस्तुत की है | ऐसे में हम सबकी महती जिम्मेदारी है कि भारतीय युवाओं को किसी भी प्रकार के कुण्ठा एवं संत्रास से बचाकर उनमें सकारात्मक ऊर्जा का संचार करें, तभी जाकर विवेकानन्द के सपनें साकार होंगे और भारतीय युवा शक्ति विश्व का प्रतिनिधित्व करेगी |

 

 

 

 

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