बढ़ती जनसंख्या : आपदा या अवसर ?
भारत जनसंख्या की
दृष्टि से चीन को पीछे छोड़ कर विश्व का सर्वाधिक जनसंख्या वाला देश बन गया है | क्षेत्रफल
की दृष्टि से विश्व में सातवाँ स्थान रखने वाले भारत में जनसंख्या बृद्धि दर
उपलब्ध संसाधनों के लिए निरन्तर चुनौती प्रस्तुत करती रही है | जनसंख्या बृद्धि के
कारण एक तरफ रोजगार से लेकर रोटी, कपड़ा, मकान का संकट बढ़ा है तो वहीं सबको शिक्षा
प्रदान करने के लक्ष्य, एवं स्वच्छ जल की सुनिश्चितता के साथ ही उपलब्ध प्राकृतिक
संसाधनों पर भी व्यापक असर पड़ा है | सरकार के लिए सबको सुरक्षा एवं स्वास्थ्य सेवा
उपलब्ध कराना निरन्तर कठिन होता जा रहा है, साथ ही विकसित भारत का लक्ष्य भी हमसे
दूर होता जा रहा है | वर्ष 1950 में मात्र 36.1 करोड़ जनसंख्या वाले भारत की जनसंख्या 142.86 करोड़ हो गई है | संयुक्त राष्ट्र के रिपोर्ट के
अनुसार विश्व की कुल जनसंख्या 8 अरब के आंकड़े को पार कर चुकी है, इससे स्पष्ट होता है कि विश्व का हर छठां
व्यक्ति भारतीय है | यह संख्या भले ही हमें गर्व की अनुभूति कराती है परन्तु साथ
ही अनेकों चुनौतियों से भी दो-चार कराती है | यह चुनौती और भी बड़ी हो जाती है जब
संयुक्त राष्ट्र की ही वैश्विक जनसंख्या संभावनाएं रिपोर्ट-2022 में भारत की जनसंख्या बढ़ने
जबकि दूसरे स्थान पर पहुँच चुके चीन की जनसंख्या घटने का अनुमान लगाया गया हो |
निश्चित तौर पर जनसंख्या दृष्टि से पहले पायदान पर खड़े भारत के लिए विश्व को मानव
संसाधन उपलब्ध कराने का यह बेहतरीन अवसर है, परन्तु आंतरिक सेवा एवं संरचना की
दृष्टि से भारतीय समाज एवं सरकार के लिए यह कठिनाई भरा मार्ग प्रतीत होता है |
भारत के सभी प्रमुख
शहरों में जनसंख्या घनत्व तेजी से बढ़ा है, जिससे इन शहरों पर मूलभूत संसाधनों की
उपलब्धता का दबाव भी बढ़ा है | दिल्ली, मुम्बई, एवं चेन्नई जैसे बड़े शहरों में
पेयजल का संकट गहराता जा रहा है, जिसके मूल में जनसंख्या बृद्धि को देखा जा सकता
है | जनसंख्या बृद्धि ने गांवों की संरचना पर भी व्यापक असर डाला है | ग्रामीण
पारिवारिक संरचना, साक्षरता दर में कमी, जागरूकता का अभाव, एवं परिवार नियोजन के
साधनों के प्रति उदासीनता के कारण गांवों की जनसंख्या शहरों की तुलना में तेजी से
बढ़ी है, विशेषकर निम्न आय वर्ग में मध्य एवं उच्च आय वर्ग की तुलना में प्रजनन दर
अधिक रही है | तेजी से बढ़ती जनसंख्या के कारण प्रति व्यक्ति कृषि भूमि की उपलब्धता
निरन्तर ही कम होती जा रही है जिससे ग्रामीण परिवार कई प्रकार की समस्याओं को झेलने
के लिए मजबूर हैं | रोजगार उपलब्धता के अभाव में ग्रामीण व्यक्तियों का शहरों की
तरफ पलायन आम बात है जो उनके जीवन की गुणवत्ता को प्रभावित करने के साथ ही शहरों
पर अतिरिक्त दबाव डालती है |
विगत कुछ वर्षों से
एक बहुत बड़ी आबादी के लिए सरकार द्वारा मुफ्त अनाज प्रदान किया जा रहा है जिससे
राजकीय कोष पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है | निरन्तर स्वास्थ्य सेवाओं में बृद्धि के
बावजूद भी प्रत्येक भारतीय नागरिक को स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराना निरन्तर कठिन
होता जा रहा है तो कहीं न कहीं उसके पीछे अप्रत्याशित जनसंख्या बृद्धि को देखा जा
सकता है | विगत वर्षों में कई एम्स खुले हैं तो वहीं राजकीय अस्पतालों की संख्या
में भी बृद्धि हुई है, फिर भी तेजी से बढ़ती हुई जनसंख्या ने इसे नाकाफ़ी कर दिया है
| स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय की एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में विशेषज्ञ
डाक्टरों की भारी कमी है | देश में प्रति 854 व्यक्तियों पर एक डॉक्टर ही उपलब्ध हैं | वहीं हमारे देश
में 1 पुलिसकर्मी पर 641 व्यक्तियों के सुरक्षा की जिम्मेदारी है | पुलिस अनुसंधान एवं विकास ब्यूरो
की एक रिपोर्ट के अनुसार 1 लाख भारतीय नागरिकों के लिए मात्र 156 पुलिसकर्मी ही उपलब्ध हैं |
स्वतंत्रता दिवस के
अवसर पर अपने भाषण में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जनसंख्या विस्फ़ोट के प्रति आगाह
कर चुके हैं, एवं इसके लिए सामाजिक जागरूकता के महत्त्व को रेखांकित कर चुके हैं |
जनसंख्या बृद्धि न सिर्फ सामाजिक एवं आर्थिक क्षेत्र को प्रभावित करती है अपितु
पर्यावरण पर भी इसका गहरा असर पड़ता है | बढ़ती जनसंख्या ने नदियों पर अत्यधिक दबाव
डाला है, तो वहीं बढ़ती जनसंख्या के लिए घर की उपलब्धता सुनिश्चित करना भी पर्यावरण
पर प्रतिकूल असर डाल रहा है | अन्न आवश्यकता की पूर्ति के लिए फर्टिलाइजर का
प्रयोग हो अथवा भूमिगत जल का दोहन, पर्यावरण को प्रभावित करता दिखलाई देता है |
जाति एवं धर्म से प्रभावित होने वाली भारतीय राजनीति को भी जनसंख्या बृद्धि ने
प्रभावित करने का कार्य किया है जिसे राष्ट्र निर्माण में एक बाधा के रूप में देखा
जा सकता है |
विश्व में सर्वाधिक
युवा आबादी होने के कारण बढ़ती हुई जनसंख्या भारत के लिए वरदान भी हो सकती है यदि
हम इसे एक संसाधन के रूप में देखें | परन्तु इसके लिए जरुरी है कि हम युवा वर्ग को
कौशल युक्त शिक्षा प्रदान करने का मार्ग प्रशस्त करें | वैश्विक बाजार की
आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए हम अपनी शिक्षा प्रणाली में आवश्यक बदलाव करें
जिससे रोजगार प्राप्त करने में मदद मिले, फलस्वरूप उपलब्ध मानव संसाधन आर्थिक
प्रगति में सहायक हो सके | विगत कुछ वर्षों में प्रजनन दर में गिरावट देखी गई है,
जो कि एक सकारात्मक पहलू है | हमें भविष्य के भारत का निर्माण करने के लिए न सिर्फ
जनसंख्या की रफ़्तार पर रोक लगाने की जरूरत है अपितु इस महत्वपूर्ण संसाधन को विकास
प्रक्रिया में सहभागी बनाने के लिए कौशलयुक्त शिक्षा पर ध्यान देना होगा | सरकार
क़ानून बनाकर जनसंख्या पर नियंत्रण का मार्ग सुनिश्चित करे, उससे महत्वपूर्ण है कि
सामाजिक एवं धार्मिक संस्थाएं आगे आकर लोगों को जागरूक करें जिससे जनसंख्या के
रफ़्तार पर अंकुश लगाया जा सके | निश्चित तौर पर वर्तमान जनसंख्या हमारे लिए अवसर
और चुनौती दोनों प्रस्तुत करती है | हमें योजनाबद्ध तरीके से जनसंख्या की रफ़्तार
को कम करने का प्रयास करना होगा जिससे चीन की तरह ‘बृद्ध जनसंख्या’ से बचा जा सके,
एवं युवा आबादी वाला भारत वैश्विक बाजार में उपलब्ध अवसर को अपनी विकास प्रक्रिया
में उपयोग कर सके | यह अवसर आपदा में न बदले, इसके लिए आवश्यक है कि हम सिर्फ
साक्षर होने की जगह तकनीकी एवं कौशल केन्द्रित शिक्षा प्रणाली विकसित करें जिससे
प्रत्येक भारतीय नागरिक विकास प्रक्रिया में सहभागी बन सके |
बढ़िया आलेख
जवाब देंहटाएं