राम के आचरण से सीखने का समय
आज जब हमारा समाज कुंठा, द्वेष, और संत्राश के
जकड़न में उलझकर अपने मूल स्वरूप को खण्डित करने के लिए आतुर दिखता है, राम की दी
हुई शिक्षा हमें एक आदर्श समाज के निर्माण की राह दिखाती है | खण्डित होते हमारे
मूल्य न सिर्फ पारिवारिक मूल्यों को तोड़ रहे हैं अपितु सामाजिक संरचना भी निरन्तर
कमजोर होती जा रही है | वर्तमान की अनेक सामाजिक समस्या की जटिलताओं के गर्भ में
दया-विरक्त हमारा हृदय ही है जिससे हम दूसरों की पीड़ा को महसूस नहीं कर पाते हैं,
ऐसे में राम के दिखाये मार्ग पर चलकर हम अनेक प्रकार की चुनौतियों से बच सकते हैं
| राम की शिक्षा हमें न सिर्फ सामाजिक जकड़न का शिकार होने से बचाती है अपितु हमें
अपने कर्तव्यों के क्रियान्वयन में ज्ञान-ऊर्जा भी प्रदान करती है | वर्तमान
सन्दर्भ में राम का जीवन दर्शन न सिर्फ प्रासंगिक है अपितु भारतीय समाज को जोड़ने
में भी सहायक हो सकता है | राम प्रेम के उस सागर का नाम है जिसमें सामाजिक समरसता
का अमृत मिला हुआ है | रामत्व भारतीय संस्कृति के लिए अत्यन्त ही आवश्यक है जिससे
हम अपनी संस्कृति को पोषित कर अपनी सामाजिक मान्यताओं को खण्डित होने से बचा सकते
हैं | राम के जीवन दर्शन से हम सामाजिक एवं व्यावहारिक जीवन के उत्कृष्ट मार्ग पर
चलने की शिक्षा ले सकते हैं जो हमारे जीवन की सार्थकता तय कर सकता है | आज जब मनुष्य
धैर्य जैसे अनमोल गुण को भूलता जा रहा है, राम का जीवन दर्शन हमें धैर्यशीलता का
बोध कराता है | अनेकानेक परिस्थितिजन्य विसंगतियों के परिणामस्वरूप ऊपजे तृणों ने
भले ही हमारे आनुभविक मूल्यों पर नकारात्मक असर डालने का कार्य किया है परन्तु रामत्व
धारण करने वाले आधात्मिक मूल्यों ने आनुभविक मूल्यों पर पड़ने वाले नकारात्मक
प्रभाव को कम करने के साथ ही नैतिक मूल्यों को क्षीण होने से बचाये रखा है |
राम का शांत चित्त स्वभाव हमें शांत रहकर कार्य
करने की शिक्षा देता है, साथ ही सभी से सद्व्यवहार की भी शिक्षा देता है | उनका
स्वभाव हमें सौम्यता एवं शिष्टता के गुण धारण करने की शिक्षा देता है | राम का सहज
एवं सरल व्यक्तित्व आज भी प्रत्येक माता के लिए पुत्र का अभिलाषी रूप है तो वहीं
प्रत्येक पिता राम जैसे आज्ञाकारी पुत्र की कामना से अपने आप को मुक्त नहीं कर
पाता है | आज भी भाई का आदर्श रूप राम का समझा जाता है तो वहीं राजा के रूप में
सर्वसमाज की कल्पना में राम ही होते हैं | हनुमान जैसे सेवक के लिए आदर्श स्वामी
का रूप भी राम ही है | राम सिर्फ युद्ध कौशल में ही निपुण नहीं होते हैं अपितु
नीति कौशल में भी राम के समान शायद ही कोई दूसरा हुआ हो |
कुटुम्ब की आदर्श संरचना पर ही समाज का अस्तित्व
है | कुटुम्ब भले ही सामाजिक संरचना की छोटी इकाई है परन्तु यह जितना अधिक मजबूत
होगा, समाज उतना ही मजबूत होगा | मर्यादित रिश्तों से ही आदर्श कुटुम्ब का निर्माण
होता है जबकि मर्यादा रुपी धागे से जुड़ा हुआ कुटुम्ब समाज को मजबूती से बांधे रखता
है | प्रेम, त्याग, और विश्वास किसी भी कुटुम्ब को न सिर्फ सशक्त बनाते हैं अपितु
समाज को भी जीवन प्रदान करते हैं | राम ने अपनी जीवन यात्रा में इन सभी गुणों को न
सिर्फ आत्मसात किया अपितु जो आदर्श प्रस्तुत किया वो आज भी हमें अपने
कर्तव्य-मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करते हैं | एक पुत्र के रूप में अपने
कर्तव्य को समझने वाले राम पिता के वचन की मर्यादा एवं माता की इच्छा का मान रखने
के लिए उस कठिन जीवन पथ को सहर्ष स्वीकार कर लेते हैं जिसपर पग-पग चुनौतियों का
अग्निकुण्ड है, फिर भी उसकी तपिश से वह किंचित नहीं घबराते हैं |
राम का जीवन हमें जीवन में त्याग की प्रेरणा
देता है | अपने अनुज भरत के लिए राज्य-सिंहासन का त्याग वो सहर्ष ही कर देते हैं |
उन्हें धन-दौलत व राज्य वैभव को त्यागने में एक क्षण भी नहीं लगता है | आज जब
भाई-बन्धुओं के बीच आपसी प्रेम एवं त्याग की भावना संकुचित होती जा रही है, राम का
जीवन दर्शन इस संकट से हमें छुटकारा दिलाता है | भाईयों के प्रति अपार स्नेह रखने
वाले राम भाईयों के बीच के सम्बन्ध को जिस प्रकार से परिभाषित करते हैं, आज भी उस
आदर्श भाई को हर कोई प्राप्त करना चाहता है | भरत के प्रति राम के हृदय में प्रेम
इस बात को रेखांकित करता है कि जिस भाई के लिए उन्हें राज्य त्यागना पड़ा, वह उससे किंचित
भी घृणा नहीं करते अपितु जब भरत राम को वापस लाने के लिए प्रयत्नशील होते हैं तो
वे उन्हें प्यार से समझाकर अयोध्या वापस भेज देते हैं | राम का लक्ष्मण के प्रति
स्नेह आदर्श सहोदर की महत्ता को रेखांकित करता है | राम का लक्ष्मण के प्रति अगाध
प्रेम आज भी राम-लक्ष्मण की आदर्श भाईयों की जोड़ी के रूप में मानी जाती है और
प्रत्येक माता-पिता की इच्छा होती है कि उनके पुत्रों में राम व लक्ष्मण सा स्नेह
हो |
मित्रता की जो परिभाषा राम ने प्रस्तुत की, वह
आज भी मित्रता का आदर्श प्रस्तुत करती है | सामाजिक जीवन में मित्र का वह रिश्ता
है जो सभी परिस्थितियों में हमारा साथ देता है | यह किसी भी सामाजिक विभेद का खंडन
करता है, साथ ही हमारे लिए प्रेरणापुंज होता है | विषम परिस्थितियों में मित्र का
साथ हमें किसी भी चुनौती से लड़ने का साहस देती है तो वहीं मित्र हमारा उचित
मार्गदर्शन करने के लिए भी सदैव तत्पर होता है | निषादराज, सुग्रीव, एवं विभीषण के
साथ राम की मित्रता उन मूल्यों को स्थापित करती है जो मूल्य सच्ची मित्रता को अमर
कर देते हैं | राम का जीवन सेवाबोध की उत्कृष्ट कथा प्रस्तुत करता है | यह सेवाबोध
शबरी के जूठे बेर खाने में भी झलकता है | एक आदिवासी स्त्री के जूठे बेर खाकर राम
यह स्थापित करने में सफल हो जाते हैं कि उनके मन में किसी प्रकार के उंच-नीच का
भाव नहीं है |
वास्तव में राम का समग्र जीवन हमें हमारे
कर्तव्यबोध, सेवाबोध, एवं राष्ट्रबोध को समझने में मदद करता है | राम का जीवन
दर्शन हमें न सिर्फ शिक्षा प्रदान करता है अपितु कर्तव्य पथ पर आगे बढ़ने की
प्रेरणा भी देता है | यह हमें जीवन के झंझावातों से निकलकर अपने दायित्व निर्वहन
की शिक्षा देता है | यह एक ऐसे समाज निर्माण की शिक्षा देता है जिसमें किसी भी
प्रकार का भेद-भाव नहीं है | यह एक ऐसे व्यक्तित्व निर्माण पर बल देता है जो किसी
प्रकार के लोभ से सर्वथा मुक्त हो | यह हमें उंच-नीच के बंधन में न बंधने की
शिक्षा देता है तो वहीं यह मित्र धर्म को निभाने की भी शिक्षा देता है | यह
रामराज्य के रूप में ऐसे समाज की निर्मित करने की शिक्षा देता है जिसमें नीति और न्याय
समाज केन्द्रित हो | यह हमें अपने कर्तव्यों को समझने की शिक्षा देता है जिससे हम
अपने सामाजिक उत्तरदायित्वों का सफल निर्वहन कर सकें | यह हमें रिश्तों की मर्यादा
को समझने की शिक्षा देता है जिससे हम अपने रिश्तों के साथ न्याय कर सकें | यह हमें
एक रामराज्य रुपी एक ऐसे समाज के निर्माण की शिक्षा देता है जिसमें जिसमें न ही
सामाजिक भेदभाव है और न ही राजा-रंक का भेद | राम के जीवन दर्शन में न तो लोभ का
अंशमात्र है और न ही ताकत का दम्भ | न ही विजयी होने का अहंकार है और न ही अभाव का
किंचित प्रभाव | इसमें है तो सिर्फ श्रद्धा, भक्ति, प्रेम, त्याग, और विश्वास
जिससे हम आदर्श जीवन की शिक्षा ले सकते हैं |
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