नेताजी की शौर्य गाथा से प्रेरणा लेने की आवश्यकता
भारतीय दिलों
में नेताजी सुभाषचंद्र बोस का नाम सदा के लिए अमर है | उनकी शौर्य गाथा न सिर्फ
युवाओं को प्रेरित करने का कार्य करती है अपितु उन्हें राष्ट्रबोध के भाव से भर
देती है | नेताजी ने आजाद हिन्द फ़ौज का गठन करके भारतीय स्वतंत्रता आन्दोलन को
दिशा प्रदान करने के साथ ही वैश्विक मंच पर इसके लिए सकारात्मक माहौल तैयार किया
जिससे स्वतंत्र भारत का सपना साकार हो सका | नेताजी सुभाषचंद्र बोस
अखण्ड एवं अविभाजित भारत के पहले प्रधानमंत्री थे | आजाद हिन्द
सरकार के मुखिया के रूप में उन्होंने एक ऐसी सरकार के अस्तित्व को मूर्तरूप दिया
जिसके पास अल्प संसाधनों के बावजूद सरकार के पास सभी आवश्यक तंत्र थे, साथ ही इसे कई देशों
का समर्थन प्राप्त था | आज़ाद हिन्द सरकार कोई प्रतिकात्मक सरकार नहीं थी, यह
नेताजी द्वारा रखी भारतीय आजादी की वह बुनियाद थी जिसके सामने अंग्रेजी हुकूमत को
नतमस्तक होना पड़ा | वास्तव में नेताजी ने देश को आजाद कराने के लिए हर वो कार्य
किया जिसकी आवश्यकता तत्कालीन भारत को थी | वे न तो अंग्रेजों की बोली से घबड़ाये
और न ही अंग्रेजों द्वारा चलाई गोली ही उनका मार्ग अवरुद्ध कर सकी | न तो ब्रिटिश
हुकूमत पोषित जेल की सलाखें उनके बढ़ते कदम को रोक सकीं और न ही किसी प्रकार के लोभ
का उनके ऊपर प्रभाव पड़ा | नेताजी द्वारा अनगिनत गुमनाम रातों का सफ़र अन्ततः भारतीय
आज़ादी का सूर्योदय लाने का मार्ग दिखा सका, परन्तु भारतीय अमर सपूत की रहस्यमयी
मौत पर पड़ी काली छाया आजादी के ७५ वर्ष के बाद भी मिट न सकी | हालाँकि वर्तमान
सरकार भारत माँ के इस बेटे के योगदान को जन-जन तक पहुँचाने का निरन्तर प्रयास कर
रही जिससे भारत माँ की आज़ादी के इस गुमनाम नायक की कहानी भारतीय जनमानस तक पहुंचाई
जा सके |
नेताजी भले ही भारतीय स्वतंत्रता के लिए
शस्त्र को महत्वपूर्ण मानते थे परन्तु वैश्विक मंच पर कूटनीतिक सहयोग के लिए
उन्होंने वैचारिक संघर्ष को भी महत्त्व दिया | यही कारण था कि आजाद हिन्द सरकार को
कई देशों का समर्थन प्राप्त हो सका | नेताजी द्वारा की गयी अनेक देशों की यात्राओं
ने एक वैचारिक वातावरण तैयार करने का कार्य किया जिससे द्वितीय विश्व युद्ध के समय
कमजोर हो रही ब्रिटिश हुकूमत भी समझती थी | नेताजी ने राष्ट्रबोध से पोषित उस भारत
का सपना देखा था जिसमें वैचारिक स्वतंत्रता प्रमुख थी | नेताजी ने त्याग और बलिदान
की वह परिभाषा गढ़ा जो आज भी हमें प्रेरित करती है | अत्यन्त सीमित संसाधनों के साथ
उन्होंने उस ब्रिटिश हुकूमत से प्रत्यक्ष रूप से लोहा लिया, जिसका सूर्य कभी अस्त
नहीं होता था | उन्होंने परिवार की वह कल्पना प्रस्तुत की, जिसमें हर भारतीय माँ
ने उन्हें अपना बेटा और हर बहन ने भाई मान लिया | यही कारण है कि जब उन्होंने आजाद
हिन्द फ़ौज के संचालन के लिए सहयोग देने का आह्वान किया तो हर भारतीय नारी ने इस
यज्ञ-आहुति में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया | जब उन्होंने ‘तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें
आज़ादी दूँगा’ का नारा दिया तो भारत के हर कोने से लोग उनके साथ हो लिये |
आज जब भारत नव-निर्माण के दौर से गुजर रहा
है तो नेताजी की बातें और भी प्रासंगिक हो जाती हैं | एक तरफ सरकार द्वारा नेताजी
के सपनों का भारत निर्मित हो रहा है तो वहीं दूसरी तरफ कुछ बौद्धिक आतंकवादी भारतीय सभ्यता के स्वाभिमान को लगातार खण्डित करने का
प्रयास भी कर रहे हैं | ऐसे में सरकार के लिए दोहरी चुनौती है | एक तरफ तो फाइलों
में दबी नेताजी की गुमनाम ज़िन्दगी की कहानी जन-जन तक पहुंचाकर इस वीर सपूत को
सच्ची श्रद्धांजली अर्पित करना तो वहीं वामपंथी विचारकों द्वारा हाशिये पर पहुंचा
दिये गये शौर्य गाथा को युवाओं तक पहुँचाना जिससे वो आज़ादी के मूल्य को समझ सकें |
आज देश को उन युवाओं की जरूरत है जो राष्ट्र के लिए अपने आप को समर्पित कर दें, और
इस कार्य में नेताजी की कहानी एक प्रेरणा स्रोत के रूप में कार्य कर सकती है | जिस
दिन देश का युवा देशभक्ति की ज्वाला में तपने को पूरी तरह तैयार हो जायेगा, हमारा
देश सर्वोच्च शिखर पर होगा |
आगामी २३
जनवरी को जब हम नेताजी की जयंती मना रहे होंगे, हमें नेताजी के सपनों का भारत
निर्मित करने के लिए एक प्रण लेना होगा | यह प्रण हमें राष्ट्रबोध के भाव से भरने
के साथ ही उनके द्वारा दिखाये गये रास्ते पर चलने में सहायक होगा | इससे हमारे
अन्दर आज़ादी के मूल्यों की समझ विकसित होगी, साथ ही साथ ‘राष्ट्रहित सर्वोपरी’ का
भाव भी विकसित होगा | विशेषकर युवा पीढ़ी के अन्दर भारत बोध का भाव भरने के लिए
उनके अंदर कर्तव्यबोध, सेवाबोध, एवं राष्ट्रबोध का भाव विकसित करना जरुरी है जिससे
भविष्य के भारत को एक आदर्श राष्ट्र के रूप में विकसित किया जा सके | सरकारी
प्रयास और सबका साथ नेताजी की शौर्य गाथा को भारत के जन-जन तक पहुंचा सकता है
जिससे आजादी के इस गुमनाम नायक के त्याग और बलिदान से हम सभी परिचित हो सकें | राष्ट्रहित
में अपने भौतिक सुख-संसाधनों का त्यागकर नेताजी ने उस कठिन मार्ग को चुना जिसपर
पग-पग चुनौतियों का अग्निकुण्ड था परन्तु इन अग्निकुण्ड की तपिश से वह किंचित नहीं
घबड़ाये अपितु उन्होंने स्वतंत्र भारत की दिशा में और तेज प्रयास किया | विगत कुछ
वर्षों में मोदी सरकार ने नेताजी के जीवन से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण पक्षों की
जानकारी सार्वजनिक करने का कार्य किया है परन्तु इसे और भी सर्वसुलभ करने की
आवश्यकता है | इंडिया गेट पर लगी प्रतिमा लोगों को नेताजी से जुड़ने का एक कारक बन
रही है जबकि विगत दिनों में नेताजी के योगदान पर केन्द्रित कुछ महत्वपूर्ण आयोजनों
से एक बौद्धिक विमर्श को दिशा मिली है, यह विमर्श नेताजी को जानने एवं समझने का
अवसर प्रदान कर रहा है | निश्चित तौर पर नेताजी जैसे बहुआयामी व्यक्तित्व को जानकर
एवं जुड़कर भारतीय युवाओं में जिन मूल्यों का बीजारोपण होगा, उससे भविष्य के भारत
को गढ़ने में मदद मिलेगी |
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