swapn

देखता हूँ स्वप्न ,वर्षों से एक मैं
जगमगाता , आसमान छूता
सुनहरी आकृति से संजा .
रोशनी के संग , अठखेलियाँ करता
विचरण करता नीले अम्बर में
धरती को छोड़ आसमान से बातें करता .
फ़रिश्ते करते हर मुराद पूरी
बिना रुके, उफ़ किये बिना
तैयार रहते स्वप्न सजाने में .
और मै इठलाता हुआ
दुनिया के दर्द से बेखबर
सपने की दुनिया में रहना चाहता .
मगर, क्या यह संभव है
हर रोज टूट जाता यह ,
जिससे करता मै इतनी वफ़ा .



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