कौन कहता है....

कौन कहता है कि हम काम नहीं करते, काम करते हैं पर अभिमान नहीं करते
संसद में विरोधियों से भिड़ जाते हैं हम, लात-घूंसा एक दूजे पर बरसाते हैं हम
कपड़े उतारकर असेंबली में नाचते हैं नंगे, वोट के लिये हम सब कराते हैं दंगे
कुर्सी के लिये आजीवन आराम नहीं करते, कौन कहता है............................
दो चार रुपये कि रिश्वत लेते नहीं, रिश्तेदारों के अलावा किसी को कुछ देते नहीं
कुनबा बढ़ाते हैं सत्ता की खातिर, ये दर्द किसी आम-जन को हम देते नहीं 
कोयले कि कालिख़ से नहाते हैं हम, पशुओं का चारा भी खा जाते हैं हम 
घोटाले कभी हम शरे-आम नहीं करते, कौन कहता है................................
वादे करके पल में मुकर जाते हैं हम, घड़ियाली आँसू हमेशा बहाते हैं हम 
धरना प्रदर्शन है अस्त्र हमारा, रोड जाम कर कहीं भी बैठ जाते हैं हम 
ट्रान्सफर कराते हैं, सस्पेण्ड कराते हैं ,भैंस ख़ोजने में पलटन लगाते हैं
सत्ता के ज़हर को हम निलाम नहीं करते, कौन कहता है.........................

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