व्हीसल ब्लोवेर्स को मिली आवाज़ !



अर्से बाद सरकार ने व्हीसल ब्लोवेर्स सम्बन्धी कानून को राज्यसभा से पास कराकर भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ रहे लोगों को नई आवाज़ प्रदान किया है।  लोकसभा से हरी झंडी मिलने के बावजूद जिस तरह से हमारे माननीयों ने इस मुद्दे पर चुप्पी साध रखी थी , ऐसे में इस कानून का अस्तित्व में आना काफी मुश्किल दिख रहा था।  दस वर्षों से सत्ता का सुख ले रही सरकार इस कानून  के प्रति शायद इस लिए भी उदासीन थी कि कहीं यह हथियार उसके लिए भस्मासुर का काम न कर दे और लोग इस हथियार को उसके खिलाफ ही इस्तेमाल न कर दें।  अच्छा होता कि सरकार पहले ही जाग जाती जिससे हम सत्येन्द्र दुबे एवं यशवंत सांवड़े जैसे व्हीसल ब्लोवेर्स को बचा पाते।  खैर देर से ही सही , सरकार अपनी कुम्भकर्णी नींद से जगी तो। पर देखना यह है कि यह कानून कितना कारगर होता है क्योंकि इस देश में नेताओं एवं माफियाओं के गठजोड़ से बने काले साम्राज्य एवं घोटालों कि जड़ें इतनी मजबूत हो चुकी हैं कि उन्हें जड़ से समाप्त करना मुंगेरी लाल के सपने सरीखा है। भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज़ उठाने वाले कर्ण को यह कवच कितना सुरक्षित रखेगा यह तो भविष्य के गर्त में छिपा है , डर सिर्फ इतना है कि कहीं इस कानून का हाल भी दूसरे कानून जैसे ना हो जिनका क्रियान्यवन करने से पहले ही उनकी धार कुन्द कर दी जाती है। भ्रष्टाचार के जरिये अकूत सम्पत्ति के मालिक बने माननीय इस कानून का क्रियान्यवन सही से होने देंगे , ऐसी कल्पना मुश्किल ही है।  वैसे भी सरकार चोर से कहती है कि चोरी करो और साहूकार से कहती है कि जागते रहो। वैसे भी  अधिकतर मामलों में तो व्हीसल ब्लोवेर्स की आवाज़ को सरकारी मशीनरी की भट्ठी में ही घुन्टते और कराहते हुए देखा गया है। अब प्रश्न यह उठता है कि  व्हीसल ब्लोवेर्स को मिली आवाज़  हमारे माननीयों को कितनी रास आती है।  

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