ऊँट किस करवट बैठेगा ?

देश में १६ वीं लोकसभा के लिए मतदान की तारीख जैसे -जैसे करीब आ रही है , हमारे माननीयों की धड़कनें बढ़ती जा रही है। पाँच साल तक जनता को बेवकूफ़ बनाने वाले नेता एक बार फिर उनका दरवाजा खटखटा रहे हैं। एक बार फिर वादों का पुलिन्दा लिए नेता जी जनता के सबसे बड़े हमदर्द कहलाने के लिए दिन रात एक कर रहे हैं। जात - धर्म , क्षेत्रवाद जैसे कारक इस बार फिर से हावी हैं। आम आदमी पार्टी के उदय ने सारे सियासी समीकरण बिगाड़ दिए हैं। हालांकि अपने उदय के साथ ही इस पार्टी को अति महत्तवाकांक्षा का शिकार होना पड़ा है जिससे इसके मंसूबों पर पानी फिरता दिख रहा है। लोकतंत्र के सभी स्तम्भों को गाली देने वाली इस पार्टी को इतने कम दिनों में दीमक लग जायेंगे , इसकी कल्पना किसी ने नहीं कि थी। मुख्यमंत्री की कुर्सी छोड़ प्रधानमंत्री बनने चले केजरीवाल साहब ने पड़ोसियों पर तो पैनी नज़र रखी परन्तु अपना घर ठीक रखना ही भूल गये। इस चुनाव में सत्ताधारी कांग्रेस पार्टी की स्थिति सबसे ज्यादा पतली है। दस साल तक सत्ता का सुख लेने वाले धुरंधर पहले से ही हार मान बैठे हैं। एक के बाद एक घोटाले कर पार्टी की किरकिरी कराने वाले नेता चुनाव लड़ने से भी कतरा रहे हैं। दस साल तक महंगाई की आग में झुलसने वाली जनता इस बार इन माननीयों को सबक सिखाने के मूड में है। ५ रूपये में एक प्लेट भोजन की बात करना , जले पर नमक छिड़कने जैसा है। पार्टी के कई दिग्गज जहाँ पाला बदल लिए हैं वहीँ कई मौके की फिराक में हैं। भ्रष्टाचार के दीमक से देश की सबसे पुरानी इस पार्टी की जड़ें खोखली हो चुकी हैं। तीसरी बार सत्ता हासिल करने की जुगत में जुड़ी  पार्टी को अब कोई चमत्कार ही बचा सकता है। इस बार सत्ता की प्रबल दावेदार मानी जा रही बी जे पी अपने अंदरूनी झगड़ों से अभी तक नहीं उबर पाई है। नरेन्द्र मोदी को प्रधानमंत्री बनाने के लिए पार्टी एक तरफ जहाँ बाहरी नेताओं पर दाँव लगा रही है वहीँ दूसरी तरफ नये साथियों के लिए भी तमाम दरवाजे खोल कर बैठी है। ऐसे में ऊंट किस करवट बैठेगा , ये तो चुनाव बाद ही पता चलेगा। परन्तु इस बार का चुनाव दिग्गजों को आइना दिखाने के लिए याद किया जायेगा। 

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