ये वादा रहा

किया है जो वादा निभायेंगे दोस्तों, दरिया के पार एक दिन जायेंगे दोस्तों
रोकेगा तूफां जो भी मेरी कश्ती को, हर उस तूफां से हम टकराएंगे दोस्तों 
गिरना उठना तो जीवन का दस्तूर है, वक़्त कम है और जाना बहुत दूर है 
तोड़ सकेगा न कोई मेरे हौसले को , एक दिन सभी को दिखलायेंगे दोस्तों 
ये माना  मेरी मुश्किलें हैं बड़ी, हर मुश्किल से एक दिन पार पायेंगे दोस्तों 
तुम करना उस दिन का इंतजार, खुशियों संग घर एक दिन आयेंगे दोस्तों 



टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

छपास रोग ( व्यंग्य )

सूरजकुण्ड मेला : नये सन्दर्भों में परम्परा का ताना- बाना

मूल्यपरक शिक्षा का आधारस्तम्भ है शिक्षक