तेरे बिन


हर ख्वाब अधूरे लगते हैं , हर रात अधूरी लगती है।
जिन साँसों में तुम बँसते हो, वो साँस अधूरी लगती है।
हर दिन ग्रहण का होता है , हर रात अमावस होती है।
तेरे यादों की गलियों में , मेरी आँखें जमकर रोती हैं।
सावन पतझड़ लगता है , हर मौसम उखड़ा लगता है
फूलों से ख़ुश्बू आती नहीं , हर उपवन उजड़ा लगता है 

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