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परिवार

ख़ुशनसीब होते हैं जिनका परिवार होता है, सुख-दुःख बांटने वाला घर-संसार होता है मुश्किलें भी हार जाती हैं जंग उस सख्स से, जिसकी दुनिया में माँ का दुलार होता है बचपन गुजारता है जो ममता की छाँव में, दादा की गोद में दादी की दुआओं में छू लेता है वो आसमान की उचाईयों को, जिसकी दुनिया में पिता का प्यार होता है रूठ जाने पर झट से मना लेती है, सारी गलतियाँ हर बार माँ से छुपा लेती है दुखों के भँवर से निकल आता है वो, जिसकी दुनिया में बहन का दुलार होता है यूँ तो लड़ता है हर छोटी बात पर, उपहार में मिले हुए खिलौनों और सौगात पर दुश्मनों के छक्के छुड़ा आता है वो, जिसकी दुनिया में भाई का प्यार होता है अनजान दुनिया से जीवन में आती है, ताउम्र सुख-दुःख में साथ निभाती है तमाम झंझावातों से लड़ लेता है वो, जिसकी दुनिया में पत्नी का प्यार होता है 

सलाम

हिन्द के जवानों को सलाम लिख रहा हूँ, उनकी वीरता पर कलाम लिख रहा हूँ। शहादत के जिनकी हर बातें हैं अनोखी, गोली भी खाकर जो चढ़ते गये चोटी ।। ऐसे वीरों को आज पैगाम लिख रहा हूँ, हिन्द के जवानों को सलाम लिख रहा हूँ। आज़ादी की खातिर जो मिट गये दीवाने, दुश्मन के लहू से जो लिख गए फ़साने। मौत भी ना रोक सकी जिनके कदम, तिरंगे में लिपटे हुए घर आये  जो दीवाने।। उनकी ज़िन्दगी की उनवाँ लिख रहा हूँ, हिन्द के जवानों को सलाम लिख रहा हूँ। माँ की ममता और बहनों का प्यार, बाबूजी के सब अरमानों का जिनपे था भार।  बच्चों को सोता जो छोड़ गया था, होता था 'दीप' जो किसी के माथे का श्रृंगार ।। ख़त मैं उस वीर के नाम लिख रहा हूँ, हिन्द के जवानों को सलाम लिख रहा हूँ। 

मौसम का बदलता मिज़ाज़ : खतरे की घण्टी

पिछले कुछ वर्षों में मौसम ने जिस तरह से करवट बदला है उससे आने वाले खतरे का अंदेशा होने लगा है। बिन मौसम की बारिश की मार हो या दिन प्रतिदिन चिलचिलाती गर्मी का टूटता रिकॉर्ड, बादल फटने की बढ़ती घटनाएं हो या फिर सैकड़ों को काल के गाल में ले जाने वाली लू का प्रकोप, निश्चित तौर पर हमे आगाह कर रही हैं। प्रकृति से हो रहे छेड़छाड़ ने पुरे इको -सिस्टम को बदल दिया है जिससे प्रतिदिन एक नई चुनौती जन्म ले रही है। इस बदलाव का न सिर्फ हमारे जीवनशैली पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है बल्कि हमारी अर्थव्यवस्था भी चरमरा सी गई है।  देश में बारिश की कमी की वजह से जहाँ कई राज्य सूखे का दंश झेल रहे हैं वहीं फसलों के उत्पादन में गिरावट ने महंगाई के लिए आग में घी डालने का काम किया है। अब प्रश्न यह उठता है कि आखिर मौसम का मिज़ाज़ क्यों बदल रहा है और इसके लिए जिम्मेदार कौन है ? इस प्रश्न का उत्तर निश्चित तौर पर प्रकृति के प्रति हमारे संवेदनहीन रवैये की तरफ इशारा करता है। प्राकृतिक संसाधनों का अंधाधुंध दोहन कर हम विकास की जिस प्रक्रिया को गति देने में लगे हैं वह प्रक्रिया हमें धीरे -धीरे विनाश के तरफ ले जाती दिख ...

किसान

ऐ किसान ! तेरी क्या ख़ूब कहानी है , चेहरे पे उदासी और आँखों में पानी है। भरता पेट संसार का मेहनत से तेरे , खाते तेरी मेहनत का टाटा अम्बानी है। भूखे सोते रातों को बच्चे अक्सर  ही , तेरे घर के चूल्हे पर पकता पानी है। छलते हैं सरकारी वादे और जुमले , सूखा बारिश की तुझे कीमत चुकानी है।

बनारस

                                                                                          धर्म, अध्यात्म और परंपरा की विरासत को सहेजे विश्व की प्राचीनतम नगरी में से एक काशी यूँ तो ज्ञान के सबसे बड़े केंद्र के रूप में जानी जाती है परन्तु इसकी सबसे बड़ी पहचान यहाँ की गंगा जमुनी संस्कृति है । वरुणा और असी नदी की पलकों में समाया यह शहर सभी धर्मों को समान महत्व देने के लिए जाना जाता है । यहाँ भारत रत्न बिस्मिल्ला खां की शहनाई की धुन और पं किशन महाराज के तबले की थाप की जुगलबंदी का रस है तो पं मालवीय और शिवप्रसाद गुप्त के सपनों को मूर्त रूप देते विद्द्या के केंद्र भी, विश्व को अहिंसा का पाठ पढ़ाने वाले महात्मा बुद्ध का उपदेश स्थल है तो कबीर का प्राकट्य स्थल भी ।भगवान शंकर के त्रिशूल पर अवस्थित विश्व के इस अनूठे शहर ...

अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का दुरूपयोग

                                                      हमारा संविधान प्रत्येक भारतीय नागरिक को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता प्रदान करता है साथ ही ८ युक्तियुक्त निर्बन्धन के माध्यम से इसकी स्वतंत्रता की परिधि भी सुनिश्चित करता है। १९ (१)(क) में वर्णित अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता हमे स्वछन्द होने की छुट नहीं देती है। परन्तु विगत कुछ वर्षों में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता एवं स्वच्छंदता के बीच की पतली रेखा धुंधली होती नजर आयी है। जे एन यू में हुई घटना अभिव्यक्ति के नाम पर मिली स्वतंत्रता का न सिर्फ दुरूपयोग है बल्कि देश की संप्रभुता एवं अखंडता पर भी गहरी चोट करती है ।  ऐसा नहीं है की इस तरह की ये पहली घटना थी। जे एन यू में इस तरह की आवाज का फैशन पहले से रहा है परन्तु इस बार तथाकथित छात्रों ने सारी हदें पार कर दी। सरकार के खिलाफ़ बोलने से शुरू हुआ ये सफ़र सोशल मीडिया के युग में सारी सीमाएं लाँघ चुका है। जो लोग देश विरोधी नारे लगाने वाले छात्रों का समर्थन कर...

आतुर ख़बरिया चैनलों की दिशा

                                           ख़बरिया चैनल व्यक्ति की जानने की इच्छा व जिज्ञासा को शांत करने के साथ ही उन्हें स्थानीय, राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय सूचनाओं तथा गतिविधियों से अवगत कराते हैं । २४*७ की रथ पर सवार इन चैनलों का काफ़िला जैसे- जैसे आगे बढ़ता जा रहा है, सामाजिक सरोकार जैसा मीडिया का बुनियादी तत्व इनसे गायब होता जा रहा है । सबसे आगे और सबसे तेज की अवधारणा ने न सिर्फ ख़बरों की गुणवत्ता को प्रभावित करने का कार्य किया है अपितु कई अवसरों पर इनकी विश्वसनीयता पर भी प्रश्नचिन्ह खड़ा किया है । आज कतिपय लोगों द्वारा सत्ता का लाभ प्राप्त करने के लिए प्रसारण चैनल शुरू किये जा रहे हैं ।  सरकार पर दबाव बनाना हो या फिर किसी मुद्दे को खड़ा करना, इन चैनलों का जवाब नहीं   ।  उपभोक्ता बाज़ार को लेकर चैनलों की बढ़ती प्रतिस्पर्धा ने ख़बरिया चैनलों की रुपरेखा ही बदलकर रख दिया है । अब ये चैनल तटस्थ रहकर ख़बरों को प्रस्तुत नहीं करते बल्कि कभी आलोचक तो कभी निर्णयकर्ता ...