किसान
ऐ किसान ! तेरी क्या ख़ूब कहानी है , चेहरे पे उदासी और आँखों में पानी है।
भरता पेट संसार का मेहनत से तेरे , खाते तेरी मेहनत का टाटा अम्बानी है।
भूखे सोते रातों को बच्चे अक्सर ही , तेरे घर के चूल्हे पर पकता पानी है।
छलते हैं सरकारी वादे और जुमले , सूखा बारिश की तुझे कीमत चुकानी है।
भरता पेट संसार का मेहनत से तेरे , खाते तेरी मेहनत का टाटा अम्बानी है।
भूखे सोते रातों को बच्चे अक्सर ही , तेरे घर के चूल्हे पर पकता पानी है।
छलते हैं सरकारी वादे और जुमले , सूखा बारिश की तुझे कीमत चुकानी है।
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