का बा राजा बनारस में ?

 बाबा विशेश्वर क दरबार बा, माँ अन्नपूर्णा क श्रृंगार बा |

ज्ञान क सगरो भण्डार इहाँ, सगरी बनारस होशियार बा ||

मालवीय क सपना इहवाँ, कबीर-तुलसी क रचना इहवाँ |

डोम राजा के अगवाँ, राजा हरिश्चन्द्र भी कर्जदार बा ||

का बा राजा बनारस…….

वरुणा-असी क अद्भुत संगम, शिव डमरू क डम-डम-डम |

सुबह-ए-बनारस मनभावन, गंगा आरती क दृश्य विहंगम ||

धर्म-अध्यात्म क ई नगरी, शिव-त्रिशूल पर टिकल सही बा |

सारनाथ में बुद्ध क दर्शन, पावन कर देला सबकर मन ||

का बा राजा बनारस…..       

भारत-माता मन्दिर के देखे, देश-विदेश से लोगवा आवें |

राम नगर किला सबही के, गौरवशाली इतिहास देखावे ||

ऊँच-नीच क शब्द इहाँ, केहरो भी न त पावल जाला  |

संत रविदास के इहवां पर, बड़ श्रद्धा संग पूजल जाला ||

का बा राजा बनारस….

चेला भी गुरु कहल जाला, हर अड़ी चुनाव लड़ल जाला |

बात-बात में बड़का संबोधन, देके प्यार से भिड़ल जाला ||

राशन इहाँ उठावे वालन, अन्न पुजारी सब बढ़के मिलिहें |

रेती पार पहुँच गदबेला, सिलबट्टा पर भाँग घोटल जाला ||

का बा राजा बनारस….

बड़का छोटका भेद मिटावे, मणिकर्णिका सबके एक देखावे |

मृत्यु शैया पर जे आवे इहवां, मुक्तिधाम उद्धार दिलावे ||

पान बनारसी क महिमा, पक्का बनारसी से पूछे केहू |

कइसे मुँह में दबा के ऐकरा, घंटा भर बतिआवल जाला ||

का बा राजा बनारस….

किशन महराज क तबला इहवाँ, बिस्मिला खां क शहनाई |

ठुमरी, कजरी, अऊर चैती क, पं छन्नू संग बहेला पुरवाई ||

हर घाटन पर धुनी रमवले, अवघड फक्कड़ ज्ञानी मिलिहें ||

चवन्नी संगे गुरु अठन्नी मिलिहें, चापत रबड़ी अऊर मलाई ||

का बा राजा बनारस…

 

 

 

 

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