मुसाफ़िर
कोशिशों के रास्ते में मिल रही हार अगर |
किनारों के पास रूक रही पतवार अगर ||
रुकना नहीं मुसाफ़िर थक हार कर कभी |
आसमां से बरस रहे राह में अंगार अगर ||
हार और जीत में केवल थोड़ा है फासला |
असम्भव ही सम्भव का दिखाता है रास्ता ||
भागना नहीं मुसाफ़िर मुँह मोड़ कर कभी |
आ जाये रास्ते में मुश्किलों के पहाड़ अगर ||
हर रात के बाद सुबह का पैगाम है यही |
अँधेरा कितना भी घना हो छंटता है सही ||
डरना नहीं मुसाफ़िर ज़िन्दगी के मोड़ पर |
दिख रहे राह में झंझावातों के जंजाल अगर ||
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