भारतीय दिलों में अमर हैं नेताजी



आज हम आज़ादी का अमृत महोत्सव मना रहे हैं, एवं सरकार द्वारा स्वतंत्र भारत की यज्ञ-वेदी में आहुति देने वाले नायकों के योगदान-गाथा को जन-जन तक पहुँचाने का प्रयास किया जा रहा है | ऐसे में भारतीय स्वतंत्रता संघर्ष के महान नायक ‘नेताजी सुभाष चंद्र बोस’ की कहानी आज़ादी के ७५ वर्ष बाद भी हमें भारतीय स्वतंत्रता की कीमत समझाने में सफल दिखती है जिसने भारतीय क्रांति की अमर गाथा को अपने लहू से लिखने का कार्य किया था | भारतीय स्वतंत्रता संघर्ष को नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने न सिर्फ एक नई दिशा दी अपितु स्वतंत्र भारत की पटकथा लिखने में अग्रणी भूमिका निभाने का कार्य किया | उच्च प्रशासनिक पद को ठोकर मारकर अपनी मातृभूमि पर सर्वस्व न्योछावर करने वाले नेताजी से जुड़े अनेक तथ्यों से भारतीय जनमानस भले ही अनजान है परन्तु नेताजी द्वारा किये गये साहसिक कार्य भारतीय इतिहास की पुस्तकों में स्वर्ण अक्षरों में अंकित है | तत्कालीन इतिहासकार भले ही नेताजी से जुड़े तथ्यों के साथ न्याय नहीं कर सके, परन्तु वर्तमान सरकार द्वारा नेताजी के कार्यों को भारतीय जनमानस के समक्ष प्रस्तुत करने के प्रयास ने अपने वीर नायक से जुड़ने का अवसर प्रदान किया है | गणतंत्र दिवस समारोह की शुरुआत २३ जनवरी से किये जाने की बात हो या फिर नेताजी से जुड़े म्यूजियम की शुरुआत, सरकार अपने नायक को सच्ची श्रद्धांजलि देने के लिए प्रयासरत है |  

वर्षों से गुलामी की बेड़ियों में जकड़ी हिन्दुस्तान की सरजमीं को आजाद कराने के संकल्प के साथ भारत माता के वीर सपूत नेताजी भारतीय जनमानस को अग्रेजों के खिलाफ़ न सिर्फ आवाज़ बुलन्द करने का मंच प्रदान किया अपितु सही मायने में स्वतंत्र भारत की मजबूत बुनियाद रखने का कार्य भी किया | नेताजी ने जैसे ही सिंगापुर में अस्थायी सरकार ‘आजाद हिन्द सरकार’ की घोषणा की, नेताजी के पीछे माँ भारती की सेवा को तत्पर हजारों की संख्या में युवावर्ग निकल पड़ा | नेताजी ने सरकार की घोषणा के साथ ही स्पष्ट कर दिया था कि इस अस्थायी सरकार का उद्देश्य होगा कि यह भारत से अंग्रेजों को निष्कासित करे साथ ही भारतीयों की इच्छा के अनुसार आजाद हिन्द की स्थायी सरकार का निर्माण करे | वर्षों से कुण्ठा और संत्राश के घूँट पीने को मजबूर भारतीय जनमानस को उम्मीद की एक रौशनी नज़र आने लगी और नेताजी के कारवां में लोग जुटते चले गये | नेताजी के ओजस्वी भाषण ने लोगों को इस कदर प्रभावित किया कि समाज के हर वर्ग से लोग सहयोग को आतुर दिखे | नेताजी के कन्धों पर इस अस्थायी सरकार के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री एवं सेनाध्यक्ष तीनों की जिम्मेदारी थी तो वहीं कैप्टन लक्ष्मी स्वामीनाथन महिला विंग का नेतृत्व कर रही थी | सरकार में एस ए अय्यर को प्रचार एवं प्रसारण की जिम्मेदारी दी गयी थी तो वहीं लै. कर्नल ए सी चटर्जी वित्त सम्बन्धित कार्यभार देख रहे थे | आरम्भ के कुछ दिनों में ही नेताजी की फ़ौज में ८५००० सैनिक शामिल हो गये |

नेताजी को हिन्दुस्तान के बाहर भी पर्याप्त समर्थन मिला और ‘आजाद हिन्द सरकार’ को जर्मनी, कोरिया, जापान, फिलिपीन्स, मान्चुको, इटली और आयरलैंड ने मान्यता प्रदान किया | नेताजी एक तरफ जगह-जगह घूमकर फ़ौज को सशक्त कर रहे थे वहीं दूसरी तरफ ‘आजाद भारत’ रुपी यज्ञ में आहुति के लिए भारतीय जनमानस को प्रेरित भी कर रहे थे | यही कारण था कि गरीब से गरीब व्यक्ति भी यथासम्भव दान देने को आतुर दिखा जिससे नेताजी को आर्थिक सम्बल भी मिला जो फ़ौज की कार्यविधि को संचालित करने के लिए अत्यन्त आवश्यक था | नेताजी को पता था कि सैन्य गतिविधियों को संचालित करने के लिए उन्हें पर्याप्त धन की आवश्यकता होगी, जिसके लिए उन्होंने लोगों के समक्ष सहयोग का आह्वान किया और देखते ही देखते सैकड़ों किलो सोना सहित पर्याप्त धन एकत्रित कर लिया गया | स्थापना के कुछ ही दिनों पश्चात ‘आजाद हिन्द बैंक’ नाम से सरकार का अपना बैंक भी शुरू किया गया जिससे आर्थिक गतिविधियों को सुचारू रूप से संचालित किया जा सके | बैंक के द्वारा विभिन्न मूल्य वाली मुद्रा भी जारी की गयी थी | जल्द ही सरकार ने डाक टिकट भी जारी कर दिया | नेताजी जैसे-जैसे वैश्विक पटल पर इस सरकार को मजबूत कर रहे थे, ब्रिटिश सरकार की मुश्किलें बढ़ रही थी | भले ही नेताजी अंग्रेजी हुकूमत की जड़ें हिला देने वाली ‘आजाद हिन्द फौज’ का नेतृत्व भारत के बाहर रहकर कर रहे थे परन्तु उनके द्वारा उठाया गया प्रत्येक कदम कभी न सूर्य अस्त का दम्भ भरने वाली ब्रिटिश सरकार को बेचैन कर रहा था | आलम यह था कि अंग्रेजी हुकूमत ने नेताजी पर प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से अनेकों प्रतिबन्ध लगा रखे थे और किसी भी प्रकार से नेताजी की आवाज को दबा देना चाहते थे | 

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