नशे के काले बाज़ार पर प्रहार जरूरी

 

वर्तमान समय में नशीले पदार्थ का सेवन भारतीय समाज के लिए गम्भीर चुनौती पैदा कर रहा है | दिनों-दिन बढ़ता हुआ नशे का काला बाजार न सिर्फ वर्तमान के लिए अभिशाप साबित हो रहा है अपितु युवा पीढ़ी को अपने चंगुल में फँसाकर भविष्य के भारत को भी कमजोर बना रहा है | एक तरफ सरकार नशा सामग्री का काला व्यापार करने वालों पर अंकुश लगाने का प्रयास कर रही है तो वहीं दूसरी तरफ लचीले क़ानून का फायदा उठाकर नशा का व्यापार करने वाले बाजार विस्तार करते जा रहे हैं | प्रधानमंत्री एवं गृहमंत्री द्वारा हाल ही में नशीले पदार्थों के बढ़ते हुए काले बाजार पर चिंता व्यक्त की गई थी, साथ ही नशे के दलदल में फँस रही युवा पीढ़ी को सचेत करने का प्रयास भी किया गया था | देश के प्रमुख पदों पर आसीन हमारे मुख्य नेताओं की चिंता ऊचित भी है क्योंकि जिस प्रकार से नशे की दलदल में युवा पीढ़ी फँसती जा रही है, भविष्य में इसके गम्भीर परिणाम होंगे | मादक पदार्थ नियंत्रण ब्यूरो की कड़ी निगरानी के बावजूद भारत में मादक पदार्थों की उपलब्धता बढ़ी है जो चिंतनीय है | केंद्र सरकार एवं राज्य सरकारें अवैध तरीके से बने नशे के काले बाजार को समाप्त करने का लगातार प्रयास कर रही हैं परन्तु सार्थक परिणाम नहीं मिल रहे हैं | मादक पदार्थों का अवैध व्यापार करने वालों का नेटवर्क सरकारी तंत्र पर भारी पड़ रहा है, एवं कुछेक अवसर को छोड़ दिया जाय तो यह नेटवर्क स्वरुप बदलकर भारतीय बाजार में ही मौजूद रहा है | तकनीकी एवं इन्टरनेट का उपयोग कर इस नेटवर्क ने न सिर्फ अपने बाजार को संचालित किया है अपितु खुद को सरकारी तंत्र की नजरों से भी दूर रखने में सफल रहा है | सोशल मीडिया का उपयोग कर ग्राहक तलाशना हो या फिर दवा के रूप में प्रतिबन्धित पदार्थों का डार्कनेट की मदद से व्यापार, नशे का बाजार एवं व्यापारी क़ानून के शिकंजे से बचते हुए पुष्पित पल्लवित हो रहा है |

वर्तमान समय में नशा कारोबारियों की गिद्ध नज़र शहरों के साथ-साथ गाँवों पर भी है, यही कारण है कि आज ग्रामीण अंचलों में निवास कर रहे युवा भी कई प्रकार के प्रतिबन्धित पदार्थ का सेवन कर अपने जीवन को संकट में डाल रहे हैं | मादक पदार्थों के सेवन को बढ़ावा देने में भारतीय फिल्मों का भी अहम योगदान नज़र आता है, विशेषकर हिंदी फिल्मों में इन पदार्थों के सेवन को जिस प्रकार से प्रोत्साहित किया जाता है उसका आम जनमानस पर असर होना लाजिमी है | भले ही एक छोटा सा डिस्क्लेमर लिखकर फिल्म निर्माता अपराध बोध से मुक्त हो जाता है परन्तु जिस प्रकार से फिल्मों में शराब, हेरोइन, एवं कोकीन जैसे मादक पदार्थों के सेवन से जुड़े दृश्यों को प्रस्तुत किया जाता है उससे युवा पीढ़ी दिग्भ्रमित होती है | फिल्मों में महिला पात्रों द्वारा मादक पदार्थों का सेवन भी भारतीय समाज में जहर घोल रहा है | फ़िल्मी पात्र एकाकीपन दूर करने, स्वतंत्र जीवन को जीने, एवं दोस्तों के साथ पार्टी करने जैसे दृश्यों में उन्मुक्त रूप से मादक पदार्थों का सेवन करता है जिसे असल जीवन में भी इसका असर पड़ रहा है | नये साल की पार्टी हो या फिर अमीर घरों में होने वाली पार्टियां, नशे के सौदागरों ने इसमें चुपके से अफीम का बीज बो दिया है | अफीम का यह बीज युवा धमनियों में मिलकर कई बार उन्हें अपराध के उस रास्ते पर लेकर चला जाता है जिसपर कोई यू-टर्न नहीं होता है | ऐसे में मादक पदार्थ के सेवन के कारण अपना होश गँवा देने वाला युवा कोई ऐसा अपराध कर जाता है जिसे पश्चाताप के आंसू भी नहीं धुल पाते हैं |

मादक पदार्थों का अवैध व्यापार पाकिस्तान से सटे सीमावर्ती राज्यों में तेजी से बढ़ा है जिसका सबसे ज्यादा असर पंजाब पर पड़ा है, वहीं राजधानी दिल्ली भी इसके चपेट में है | पाकिस्तान, अफगानिस्तान, एवं नेपाल के रास्ते से भारत में हो रही नशीले पदार्थों की तस्करी को रोक पाना सरकार के लिए काफी मुश्किल हो रहा है | इसका मुख्य कारण सरकार एवं सरकारी तंत्र में मौजूद चंद लोगों की संलिप्तता है जो इन तस्करों को किसी न किसी रूप में मदद करते रहे हैं | विगत दिनों पंजाब के एक बड़े पुलिस अधिकारी की संलिप्तता एवं बड़े नेता की गिरफ़्तारी से जुड़ी ख़बर भ्रष्टतंत्र एवं नशा तस्करों के गठजोड़ को दर्शाता है |  

विगत दिनों कई ऐसी घटनाएँ घटी हैं, जिनकी पृष्ठभूमि में किसी न किसी रूप में नशीले पदार्थ के सेवन के उपरान्त किया गया असामाजिक व्यवहार रहा है | साथ ही, प्रतिवर्ष सड़क दुर्घटना के कारण होने वाली हजारों मौतों के पीछे भी अनेकों बार नशीले पदार्थों का सेवन करके वाहन चलाना रहा है | देश के विभिन्न कोने में प्रतिवर्ष नकली शराब की वजह से देश भर में हजारों मौत होती हैं, फिर भी सरकार नकली शराब बनाने एवं बेचने वालों के मन में क़ानून का डर पैदा नहीं कर सकी है | मादक पदार्थों का सेवन करने से युवाओं में कई प्रकार की शारीरिक और मानसिक बीमारियाँ भी पैदा हो रही हैं जिससे सामाजिक एवं पारिवारिक संरचना पर भी गम्भीर असर पड़ रहा है | विभिन्न प्रकार के जघन्य अपराधों के पृष्ठभूमि में भी नशीले पदार्थों के सेवन की भूमिका देखी गई है जिसमें अपराधी अपराध करते समय मादक पदार्थों के सेवन के कारण अपने होश में नहीं थे | यह भविष्य के लिए एक गम्भीर संकेत भी है क्योंकि जिस तेजी से मादक पदार्थों का कारोबार बढ़ रहा है एवं युवा पीढ़ी इसकी चपेट में आ रही है, भविष्य में इससे आपराधिक घटनाओं में बढ़ोत्तरी से इंकार नहीं किया जा सकता है | नशा का काला कारोबार संचालित करने वाले जानते हैं कि युवा पीढ़ी को नशे के दलदल में फँसाकर वो न सिर्फ बाजार का दायरा बढ़ा सकते हैं अपितु विश्व में सर्वाधिक युवा जनसंख्या वाले भारत की जड़ों को कमजोर भी कर सकते हैं | ऐसे में सरकार को चाहिए कि वह कड़े कानून बनाकर नशे के काला बाजार पर कड़ा प्रहार करे, एवं मादक पदार्थों के जरिये युवा पीढ़ी को शारीरिक एवं मानसिक चोट पहुँचा रहे देश के दुश्मनों को कड़ी से कड़ी सजा दे |

 

 

 

 

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