चलो फिर
चलो इस तन्हाई का रहबर ढूंढते हैं |
खो आये मुस्कान जहाँ शहर ढूंढते हैं ||
चले थे जहाँ से एक बार जाते हैं फिर |
यादों के कारवां समेटे डगर ढूंढते हैं ||
अंधेरों के गर्दिश ने भटकाया बहुत |
उजालों से भरी एक सहर ढूंढते हैं | |
उतार फेंकते हैं अमीरी के लिबास |
जेहन में समाया पुराना घर ढूंढते हैं ||
वो कागज की कश्ती बनाते हैं फिर |
वजह-बेवजह हम मुस्कुराते हैं फिर ||
वो लड़ना झगड़ना फिर मिल जाना |
भावनाओं का ऐसा समन्दर ढूंढते हैं ||
खुशियों की बारिश में नहाते हैं ‘दीप’ |
रूठा हुआ अपना मुकद्दर ढूंढते हैं ||
Nice
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