आज फिर
चलो आज फिर पुरानी बात करते हैं |
धूल में लिपटी किताबें साफ करते हैं ||
कुछ पन्नों को पलटते हैं आज फिर |
अपने अतीत से मुलाकात करते हैं ||
बहा लेते हैं आज अश्कों के समंदर |
छुपा रखे हैं जिन्हें पलकों के अंदर ||
गिले शिकवे मिटा लग जाते हैं गले |
साथ चले हुए कदम याद करते हैं ||
मिटा देते हैं ज़ख्मों के निशान सभी |
वक्त ने लगाया था जो दिल पे कभी ||
बसाते हैं फिर से सपनों का आशियाँ |
रौशन मिलकर उसे साथ करते हैं ||
छोड़ देते हैं हम तन्हाईयों के साथ को |
भूला देते हैं रुसवाईयों की हर बात को ||
मिलकर सँजोते हैं कुछ नये ख्वाब हम |
रंग भरते हैं खुशियों के साथ साथ हम ||
चाँद को छूने निकलते हैं आज 'दीप' |
सफर जिंदगी का हम साथ करते हैं ||
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