ज़िन्दगी के फ़लसफ़ें

 


रेत की बुनियाद पर घर बनाते नहीं |

ख़ुश्क जमीं पे शज़र हम लगाते नहीं ||

ख्वाब देखना कोई बुरी बात नहीं है  |

ख्वाबों के संग ज़िन्दगी बिताते नहीं  ||

नफरतें मिटा देती हैं मुस्कान हमारी  |

मुस्कुराहटों को हम तो भूलाते नहीं  ||

सर्द रात भी कट जायेगी धीरे-धीरे |

किसी का घर तो हम जलाते नहीं ||

दफ्न होंगे सीने में बहुत राज हमारे |

हर शख्स को राज अपने बताते नहीं ||

खामोशियाँ भी कह जाती हैं बात कई |

दर्द दिल के लवों पे हम लाते नहीं ||

तूफ़ान के संग दीप जला लेंगे हम |

हवा के रूख से हम तो घबड़ाते नहीं ||

 

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