जीवन की राह

 


जिंदा हो जब तक जूनून बाकी है |

रगों में बहता हुआ खून बाकी है ||

खर्च कर ली ज़िन्दगी मृग की तरह |

ख़ुश हो तभी तक सुकून बाकी है ||

गिरकर उठना जीवन का अंग है |

क्या हुआ जीवन थोड़ा जो तंग है ||

हौसलों से नाप लो पूरा आसमान |

कुछ पाने की अगर धुन बाकी है ||

थक जाना नहीं जीवन की राह में |

खो जाना नहीं खुशियों की चाह में ||

जीवन के न्याय से कुंठा हो ‘दीप’ जो |

सोचना कुदरत का कानून बाकी है ||

 

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

छपास रोग ( व्यंग्य )

सूरजकुण्ड मेला : नये सन्दर्भों में परम्परा का ताना- बाना

मूल्यपरक शिक्षा का आधारस्तम्भ है शिक्षक